Rewari: गुरुग्राम लोकसभा सीट पर लगातार तीन बार सांसद रह चुके केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को सीधी चुनौती पेश करने के लिए कांग्रेस की दमदार प्रत्याशी की खोज पूरी नहीं हो सकी। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के कभी हां, तो कभी ना कहने के बाद पार्टी ने गैर अहीर नेता को प्रत्याशी बनाने पर माथापच्ची शुरू की। राज बब्बर के नाम पर पार्टी में विचार किया जा रहा है। कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित नहीं होने के कारण चुनावों की घोषणा के बावजूद क्षेत्र की राजनीति पर होली का रंग नहीं चढ़ सका। होली के बाद ही कांग्रेस प्रत्याशी के नाम की घोषणा संभावित है।
प्रदेश में 25 मई को होने है लोकसभा चुनाव
प्रदेश में लोकसभा चुनाव अतिंम चरण में 25 मई को होने हैं। दो माह से ज्यादा समय होने के कारण अभी तक राजनीति पर होली का रंग चढ़ना शुरू नहीं हुआ। सामने प्रत्याशी नहीं आने के कारण भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह ने भी आक्रामक चुनाव प्रचार की शुरूआत नहीं की। राव कांग्रेस की टिकट पर 2009 में इस सीट पर पहला लोकसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद दोनों चुनाव भाजपा की सीट पर जीते। तीनों ही चुनावों में उनकी जीत लगभग एकतरफा रही। गत लोकसभा चुनावों में कैप्टन अजय सिंह यादव ने 4.95 लाख मतों के साथ इंद्रजीत सिंह को टक्कर देने का प्रयास तो किया, लेकिन जीत का अंतर 3 लाख का आंकड़ा पार कर गया। कैप्टन से पूर्व इस सीट पर कांग्रेस के दूसरे प्रत्याशी ज्यादा सफल नहीं हुए थे।
लोकसभा चुनावों की चर्चा से कैप्टन ने बढ़ाई थी सक्रियता
कैप्टन अजय सिंह यादव ने लोकसभा चुनावों की चर्चा के साथ ही गुरुग्राम में जनसंपर्क अभियान तेज करते हुए 400 से अधिक गांव कवर कर लिए थे। कांग्रेस के मजबूत गढ़ मेवात क्षेत्र में उनकी सक्रियता बढ़ी हुई थी। पार्टी में टिकट के लिए आवेदन की शर्त रखने और चुनाव कमेटी में शामिल नहीं करने से कैप्टन नाराज हो गए और आवेदन नहीं करने का निर्णय लिया। बाद में फैसला बदलते हुए आवेदन कर भी दिया। टिकट की उम्मीद नजर नहीं आने के कारण एक बार फिर उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।
कैप्टन का विकल्प ढूंढना नहीं आसान
गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कांग्रेस में अभी तक कैप्टन ही अकेले ऐसे नेता साबित हुए हैं, जिन्होंने मोदी लहर में गत लोकसभा चुनावों में अच्छे मत हासिल करने में सफलता हासिल की। इससे पूर्व 2014 के लोकसभा चुनावों में राव धर्मपाल 1.5 लाख वोट भी हासिल नहीं कर पाए थे। पार्टी के पास इस सीट पर ऐसा कोई दमदार नेता नजर नहीं आ रहा, जिसका पूरे लोकसभा क्षेत्र में अपना जनाधार हो। एक ओर जहां पार्टी गैर अहीर नेता को मौका देते हुए राजबब्बर के नाम पर विचार कर रही है, तो दूसरी ओर परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक पर भी उसकी नजर है। सियासी शतरंज के महारथी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस सीट पर दमदार प्रत्याशी की तलाश करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।