हरियाणा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस-AAP गठबंधन को लेकर बोले राघव चड्ढा, कहा- उम्मीद कायम

Haryana Assembly Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।;

Update: 2024-09-07 04:49 GMT
Haryana Assembly Elections
हरियाणा विधानसभा चुनाव
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Haryana Assembly Elections: हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने 32 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, तो वहीं दूसरी और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन को लेकर भी अभी सस्पेंस बना हुआ है। शुक्रवार को ये खबर सामने आई थी कि कांग्रेस और आप के बीच अलायंस को लेकर बात नहीं बन पा रही है। इसे लेकर अब आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा का बयान सामने आया है।

उम्मीद कायम है- राघव चड्ढा

राघव चड्ढा ने कहा कि अभी कांग्रेस से बातचीत चल रही है, हमें उम्मीद है कि देश के हित और हरियाणा के हित में गठबंधन किया जा सकता है। इसको लेकर हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं और उम्मीद कायम है और इस गठबंधन को लेकर चर्चाएं चल रही हैं।

नहीं बन पा रही दोनों पार्टियों के बीच सहमति

दरअसल, आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया, अजय माकन और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को शामिल गया था। वहीं, आम आदमी पार्टी की ओर से गठबंधन पर चर्चा के लिए राघव चड्ढा को जिम्मेदारी दी गई थी।

वहीं, दूसरी तरफ खबर यह आई कि इस गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को जो फार्मूला दिया है उस पर आप ने सहमति नहीं जताई है। कहा जा रहा है कि आप ने मांग रखी है कि पंजाब और दिल्ली से सटी विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को टिकट दिया जाए। 

बीजेपी नेता का आया बयान

राज्य में AAP और कांग्रेस गठबंधन को लेकर बीजेपी नेता शाहजाद पूनावाला ने कहा कहा कि इंडिया गठबंधन के पास कोई मिशन और विजन नहीं है। उनके पास सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं, वे अपने भ्रष्टाचार को बचाना चाहते हैं। इसलिए वे कुछ जगहों पर गठबंधन बनाना चाहते हैं। हालांकि, इनका यह गठबंधन बाद में यह टूट जाता है।

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पंजाब में  आप और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ हैं, तो वहीं दिल्ली में वे पहले हम साथ-साथ हैं। अब हरियाणा में कभी हां और कभी न चल रहा है और यह हरियाणा में उनकी हताशा को दर्शाता है। राज्य में एक दूसरे के खिलाफ खड़े राजनीतिक दलों को भी एक साथ आना पड़ रहा है। इसका मतलब है कि अगर वे अकेले चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें यहां के लोगों का समर्थन मिलने की कोई गारंटी नहीं है। 

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