योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव-2024 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। हरियाणा में सत्ताधारी दोनों राष्ट्रीय दल कांग्रेस और भाजपा के लिए इस बार का चुनाव बागियों व नाराज नेताओं के कारण सिरदर्द भरा साबित हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता पाने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही है। भाजपा के नेता आश्वस्त हैं कि फिर से चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाने का काम करेंगे। लेकिन भाजपा के लिए बागी और सीएम पद के कई-कई दावेदार चुनौतियां पेश कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के सियासी दिग्गज भी 10 साल बाद सत्ता में वापसी आने के लिए पूरा पसीना बहा रहे हैं। साथ ही कांग्रेस के अंदर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की अच्छी खासी संख्या है।
अधिकांश सीटों पर दोनों राष्ट्रीय दलों में मुकाबला
विस चुनाव में इस बार अधिकांश सीटों पर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों में मुकाबला है। जबकि कुछ जिलों और कुछ सीटों पर क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को किसी भी तरह से कमजोर नहीं माना जा सकता। प्रदेश के अंदर विपक्ष की ओर से किसान, पहलवान, अग्निवीर जैसे मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है। जबकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से कराए विकास और डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ किसानों के हित में उठाए कदमों को लेकर खुलकर बात रखी जा रही है। भाजपा से लेकर कांग्रेस तक टिकटों की घोषणा के साथ ही दोनों पार्टियों के अंदर बगावत खुलकर सामने आई थी।
नाराज नेताओं ने भरे थे नामांकन
भाजपा के नाराज दिग्गज नेताओं ने अपने-अपने नामांकन भर दिए थे, जिससे भाजपा के बड़े नेताओं की चिंता बढ़ गई थी। उसके बावजूद हरियाणा प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर सहित तमाम नेताओं ने इन बागियों को मनाने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की। लेकिन कुछ नेता इस तरह के हैं, जिनकी नाराजगी अंतिम चरण तक भी दूर नहीं हो सकी। यही कारण है कि उन्होंने अंतिम चरण में भी निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर ताल ठोकी है। कई जगह पर कद्दावर नेताओं के सामने यह निर्दलीय काफी चिंता का विषय बने हुए हैं।
लाडवा से नायब सैनी लड़ रहे चुनाव
लाडवा सीट बेहद अहम सीट है, क्योंकि यहां से भाजपा के टिकट पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भाग्य आजमा रहे हैं। जिन्हें हाईकमान का भी आशीर्वाद प्राप्त है। लाडवा में सैनी के खिलाफ भाजपा के बागी संदीप गर्ग ने अच्छा खासा मुकाबला खड़ा कर दिया है। वे मान मनौव्वल के बाद भी नहीं माने। रानियां सीट की बात करें, तो पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला और गन्नौर में भाजपा के युवा चेहरे देवेंद्र सिंह कादियान ने बगावत कर निर्दलीय फॉर्म भर दिया था। वे भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी निर्मला रानी को जमकर चुनौती दे रहे हैं। भाजपा के बागियों की सूची में सफीदों सीट से मैदान में उतरे बच्चन सिंह आर्य उतरे हुए हैं। महम से राधा अहलावत और गुरुग्राम से नवीन गोयल व हथीन से निर्दलीय उम्मीदवार केहर सिंह रावत के नाम भी शामिल हैं।
कांग्रेस में भी बगावत के सुर
कांग्रेस में भी बगावत के सुर कम नहीं हैं। चुनावी मैदान में उतरे नेताओं की सूची यहां पर भी लंबी हैं। मान मनौव्लल के बावजूद नाराज नेता मानने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी से बगावत कर अंबाला छावनी सीट पर चित्रा सरवारा ने नामांकन दाखिल कर सियासी लड़ाई को रोचक बना दिया है। वहीं बल्लभगढ़ सीट पर बात करें तो पूर्व सीपीएस औऱ कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री शारदा राठौर मैदान में उतरी हुई हैं। वह भी अधिकृत कांग्रेस के प्रत्याशी के विरुद्ध ताल ठोक रही हैं। बहादुरगढ़ से राजेश जून बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। उचाना से दिलबाग शांडिल्य, गुहला से नरेश ढांडा, जींद से प्रदीप गिल, पुंडरी से सज्जन सिंह ढुल निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।
सीएम पद पर ठोक रहे ताल
कांग्रेस में सीएम पद के दावेदारों की सूची में सबसे पहला नाम पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा का है, जिन्हें मजबूत दावेदार माना जा रहा है। खास बात यह है कि पार्टी की दिग्गज नेत्री और सांसद शैलजा भी सीएम पद पर दावेदारी ठोक चुकी हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। लेकिन भाजपा में पूर्व गृहमंत्री अनिल विज मुख्यमंत्री पद के लिए खुद को सबसे वरिष्ठ बता रहे हैं, वहीं भाजपा में राव इंद्रजीत सिंह भी सीएम पद पर दावा ठोक चुके हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली साफ कर चुके हैं कि भाजपा में मुख्यमंत्री का चेहरा नायब सिंह सैनी ही होगा।