Haryana Assembly Elections: हरियाणा में आज मंगलवार को राज्यसभा की उम्मीदवार किरन चौधरी को संसद के रूप में चुन लिया गया है। आज उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार ने राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र भी दे दिया है। उनके सांसद के रूप में चुने जाने से समर्थकों में खुशी की लहर है। बता दें कि 20 अगस्त को बीजेपी की ओर से उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार किया था। इसके बाद 21 अगस्त को उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया और यहां पर उनके साथ सीएम नायब सैनी भी उपस्थिति थे।
#WATCH | BJP leader Kiran Choudhry collected her winning certificate after she was elected unopposed to Rajya Sabha from Haryana
— ANI (@ANI) August 27, 2024
During this occasion, Haryana CM Nayab Singh Saini, state BJP president Mohan Lal Badoli and Speaker Gian Chand Gupta were also present. pic.twitter.com/eg1lKOYyUS
पहले से तय था रिजल्ट
हालांकि, इस सीट के लिए कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी पार्टियों ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। इस कारण से किरण चौधरी का निर्विरोध राज्यसभा जाने का रास्ता पहले से ही साफ था और इसका रिजल्ट भी पहले से ही तय था। इसके बाद आज उन्हें अधिकारिक रूप से सांसद का पद सौंप दिया गया है। वहीं इससे पहले ही किरन चौधरी ने भिवानी के तोशाम से कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा दिया था, जिसे हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने स्वीकार कर लिया।
नाराजगी में छोड़ी कांग्रेस पार्टी
दरअसल, किरण चौधरी ने बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद से ही नाराज थी। इसी नाराजगी में वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गई। बीजेपी में शामिल होने के दो महीने बाद उन्हें अब राज्यसभा भेजा जा रहा है। हरियाणा की यह राज्यसभा सीट रोहतक से लोकसभा चुनाव जीतेने वाले कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी और उनका कार्यकाल अप्रैल 2026 तक का था।
किरण का 20 सालों का सपना
किरण चौधरी 20 सालों से राज्य सभा में जाने का सपना देख रही थी, जो अब जाकर पूरा हुआ है। इसे लेकर कहा जा रहा है कि इससे पहले वह ओपी चौटाला की वजह से चूक गई थी। बता दें कि हरियाणा में जून 2004 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो की सरकार बनी थी। उस समय प्रदेश में राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में किरण चौधरी को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन किरण उस समय ओमप्रकाश चौटाला की गुगली में फंस गई थी, जिस कारण वह संसद बनते-बनते रह गई थी।