हरियाणा बजट सत्र के आखिरी दिन भी राजस्थान को पानी देने के मुद्दे पर कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। कांग्रेस का आरोप है कि अगर राजस्थान को पानी दिया गया, तो प्रदेश के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे को लेकर वाकआउउट कर दिया। हालांकि सीएम मनोहर लाल ने इस मुद्दे पर सरकार की ओर से पक्ष रखा है। उन्होंने कहा है कि राजस्थान को अतिरिक्त पानी दिया जाएगा। अगर बाढ़ के हालात हुए तो भी पानी को स्टोरेज करने के बाद जो अतिरिक्त पानी होगा, उसे ही राजस्थान को दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राजस्थान के साथ पानी के मुद्दे पर कहा कि पानी की उपलब्धता और पानी की मात्रा के लिए दो अलग-अलग वक्त पर समझौते हुए हैं। पहले हरियाणा ने 13000 क्यूसेक पानी की जरूरत बताई, जिसे बाद में 18000 क्यूसेक और मौजूदा वक्त में 24000 क्यूसेक तक ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के हालात पर अतिरिक्त पानी होने पर ही राजस्थान को पानी दिया जाएगा। बाढ़ के हालात में भी पानी अतिरिक्त होने पर एक चौथाई पानी दक्षिण हरियाणा के जिलों के लिए रखा जाएगा।
राजस्थान और हरियाणा के बीच हुआ था समझौता
हरियाणा और राजस्थान में लंबे समय से पानी के मुद्दे को लेकर तनातनी चलती रही है। राजस्थान में जब बीजेपी की सरकार आई तो इस विवाद को सुलझाने की गुंजाइश नजर आई। 17 फरवरी को राजस्थान और हरियाणा सरकार के बीच अहम समझौता हुआ। इससे उम्मीद जगी कि दोनों राज्यों में पानी विवाद सुलझ जाएगा। समझौते के तहत दोनों राज्यों के बीच भूमिगत पाइप लाइनों के माध्यम से पानी सप्लाई किया जाएगा। अब हरियाणा कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया है और आरोप लगाया है कि हरियाणा को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा, उलटा राजस्थान को पानी देने पर समझौता कर लिया गया है। बजट पर चर्चा के दौरान बेरी से विधायक डॉक्टर रघुबीर कादियान ने कहा कि राजस्थान को पानी देने का फैसला गलत है। केंद्र ने मुख्यमंत्री को बुलाया और बिना चर्चा के समझौते पर हस्ताक्षर करवा लिए।
सरकार ने किया पलटवार
कांग्रेस के इस आरोप पर सरकार की ओर से कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि यमुना की क्षमता को 19000 से बढ़ाकर 24000 क्यूसिक कर दिया गया। यमुना का जो भी अतिरिक्त पानी होगा, उसे पाइप लाइनों के माध्यम से हिसार, भिवानी और चरखी दादरी जिलों में भेजा जाएगा। 24000 क्यूसिक के बाद जो भी अतिरिक्त पानी होगा, उसे ही राजस्थान को दिया जाएगा। सरकार के इस जवाब के बाद भी कांग्रेस असंतुष्ट है और इस समझौते को रद्द करने की मांग कर रही है।