Punjab Haryana High Court: हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में हुए 300 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है, जिसे लेकर प्रदेश ने समय मांगा है। पहले इस फैसले पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई लेकिन बाद में अनुरोध को मंजूरी दे दी गई है। हाईकोर्ट ने जल्द से जल्द इस मामले में हरियाणा सरकार से फैसला लेने की गुहार लगाई है।
पहले भी हुई थी कोर्ट में सुनवाई
गौरतलब है कि हरियाणा में 300 करोड़ रुपए से अधिक की दवा और दूसरे उपकरण खरीदने के मामले में घोटाला हुआ था। इस मामले को लेकर हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को एफआईआर दर्ज करने की परमिशन अब तक नहीं दी है। इसे लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई थी। जिसके बाद राज्य ने एक बार फिर से 4 सप्ताह का समय मांगा है।
प्रदेश के इस फैसले पर कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की पीठ ने नाराजगी जताई है। बाद में प्रदेश के फैसले को मंजूरी दे दी गई है। इससे पहले भी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश को 16 सितंबर तक मामले में फैसला लेने का आदेश दिया था। जब राज्य द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट के निर्देश पर दोबारा सुनवाई की गई है।
अधिकारी ने किए थे फर्जी हस्ताक्षर
बता दें कि याचिकाकर्ता जगविंद्र कुल्हाड़िया ने अधिवक्ता प्रदीप रापड़िया के जरिये हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसे लेकर हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवा और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपए के घोटाले को लेकर ईडी से जांच कराने की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि बिना ड्रग लाइसेंस वाली कंपनियों से दवा और उपकरणों को खरीदकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जेल में बंद एक व्यक्ति ने टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया और स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी द्वारा फर्जी हस्ताक्षर भी किए गए।