Haryana Govt School Scam: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में साल 2014 से लेकर 2016 के बीच 4 लाख फर्जी एडमिशन हुए हैं, जिस मामले में चंडीगढ़ सीबीआई ने तीन एफआईआर दर्ज की है। स्कॉलरशिप-यूनिफॉर्म और मिड-डे मील के लिए सरकार से मिलने वाले फंड में गबन के लिए कागजी एडमिशन किए गए थे। इस मामले में सरकारी कर्मी द्वारा गलत दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश रचने सहित भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं लगाई गई हैं।

सीबीआई ने पेश की थी रिपोर्ट

इससे पहले स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा कई साल तक मामले की जांच कर सात एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में दो बार विजिलेंस की एसआईटी भी बनी। तीन स्तर पर जांच कर रिपोर्ट पेश की, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट जांच से संतुष्ट नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने दिए थे निर्देश

हाईकोर्ट ने 30 मार्च, 2018 को दर्ज मामले को लेकर नवंबर 2019 को फैसला सुनाते हुए जांच सीबीआई सौंपी थी। कोर्ट ने सीबीआई को 3 महीने में जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। अब लगभग 4 साल बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। इन मामलों की जांच सीबीआई की एसपी सीमा पाहुजा और डीसीपी राजीव गुलाटी को सौंपी गई है।

सालों बाद भी घोटाले का आंकड़ा स्पष्ट नहीं

मामले को लेकर सालों की जांच के बाद भी अभी तक किसी भी एफआईआर में यह साफ नहीं हो पाया है कि कुल कितने का वित्तीय घोटाला हुआ। कहा गया कि स्कॉलरशिप-यूनिफॉर्म और मिड-डे मील के लिए मिलने वाले फंड में घोटाला किया गया। सीबीआई में दर्ज एफआईआर के अनुसार, हरियाणा के कई जिलों में 4 लाख से अधिक स्टूडेंट का दाखिला दिखाकर यह घोटाला किया गया है।

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घोटाला करने वालों ने इन 4 लाख से अधिक स्टूडेंट्स के लिए अध्यापकों की आवश्यकता दिखाई गई थी। इस मामले में शक के दायरे में प्राथमिक शिक्षा विभाग है, लेकिन पहले विजिलेंस और अब सीबीआई ने भी किसी को नामजद नहीं किया है। अब फिर से इस मामले को लेकर घोटाले में शामिल लोगों से पूछताछ हो सकती है।