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हरियाणा में सेवा का अधिकार आयोग ने झज्जर के बादली के पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के तत्कालीन ब्रांच प्रबंधक संजीव किशोर रोहतगी पर अधिसूचित सेवा निर्धारित समयावधि में न देने पर 3 हजार का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना राज्य खजाना में जमा कराना होगा।

Jhajjar: हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने झज्जर के बादली के पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के तत्कालीन ब्रांच प्रबंधक संजीव किशोर रोहतगी पर अधिसूचित सेवा निर्धारित समयावधि में न देने पर 3 हजार का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना राज्य खजाना में जमा कराना होगा और जमा करवाए गए जुर्माना की चालान रसीद आयोग के आदेशों के 30 दिनों के भीतर सौंपनी होगी अन्यथा जुर्माना जमा न करवाने की दशा में कानूनी अनुसार रिकवरी की जाएगी।

मामले की 10 अप्रैल को हुई थी सुनवाई

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग के मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया और इस मामले के निपटान के लिए 10 अप्रैल को एक सुनवाई की। सुनवाई के दौरान संजीव किशोर रोहतगी ने कहा कि 21 अप्रैल 2022 को ऋण की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद 24 अप्रैल 2022 को खरीदारी भी की गई। जब ग्राहक वितरण के लिए आया, तो पाया कि आवेदक का सिबिल स्कोर संतोषजनक नहीं था, इसलिए भुगतान नहीं किया गया। यह बात वर्तमान शाखा प्रबंधक अमनप्रीत ने भी दोहराई।

ऋण स्वीकृति से पहले सिबिल स्कोर की क्यों नहीं की जांच

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि वितरण न होने का कारण केवल संजीव किशोर रोहतागी द्वारा ही बताया जा सकता है। जब बैंक अधिकारियों से पूछा गया कि उन्होंने ऋण स्वीकृत करने से पहले सिबिल स्कोर की जांच क्यों नहीं की, तो बैंक कर्मचारियों ने कहा कि वे सरकार की योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए ऋणों की सैद्धांतिक मंजूरी देते हैं और इन चीजों की जांच तभी की जाती है, जब मामले सामने आते हैं। आयोग ने इस मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर सावधानीपूर्वक विचार किया। प्रारंभिक जांच में यह शामिल है कि क्या ग्राहक डिफॉल्टर है, क्या ग्राहक का सिबिल स्कोर संतोषजनक है और बैंक के दिशानिर्देशों को पूरा करता है या नहीं, बैंक के निर्देशों के अनुसार अन्य चीजें शामिल हैं।

बैंक को शुरूआत में ही करनी चाहिए जांच पड़ताल

आयोग ने कहा कि यदि बैंक ने सैद्धांतिक मंजूरी देने से पहले प्रारंभिक चरण में ही इसे देख लिया होता, तो गरीब आवेदक को इन सभी गतिविधियों को करने में होने वाली परेशानी और समय की बर्बादी से बचाया जा सकता था। खरीदारी पर खर्च होने वाले पैसे भी बचाए जा सकते थे। इसलिए, संजीव किशोर रोहतगी को समय पर अधिसूचित सेवा की डिलीवरी न करने का दोषी पाते हुए आयोग ने 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

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