योगेंद्र शर्मा, हरियाणा: आखिरकार मंत्रियों के स्टाफ में लगने को लालायित हरियाणा सचिवालय के कर्मचारी अभी भी भागदौड़ और रसूख का इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं। इस बीच हरियाणा सचिवालय में पीएस, पीए और स्टेनो संगठन से जुड़े पदाधिकारी भी लामबंद होने लगे है। इन वरिष्ठ कर्मियों का तर्क है कि सचिवालय में जो पद स्वीकृत हैं, उन पर पात्र लोगों को ही लगाया जाए। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि उनके स्वीकृत पदों पर अपर सचिव, अधीक्षकों और सहायकों को बैठाए जाने से यह लाबी आहत है।
सचिवालय की कैंटीन में बनी रणनीति
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा सचिवालय की कैंटीन में दोपहर भोज के वक्त सभी ने एक बैठक की हैं, जिसमें पूर्व अध्यक्ष सदन अहलावत, राजेश झांझरिया, विनोद कुमार मुकेश, पवन ने बात रखी। साथ ही सोमवार को एक ज्ञापन सौंपने पर मंथन किया। जिसमें मुख्य सचिव को लिखित में दिए जाने पर चर्चा की गई, सभी ने इस बात पर सहमति दी है। इसके अलावा नई कार्यकारिणी का गठन करने को लेकर भी चर्चा हुई ताकि नए पदाधिकारी व नई कार्यकारिणी में सक्रिय लोगों को स्थान मिल सके। अहलावत ने बैठक की पुष्टि करते हुए सोमवार को अफसरों के सामने अपनी बात रखने की बात कही है। हरियाणा सचिवालय पीएस, पीए और स्टेनो एसोसिएशन की जिम्मेदारी नए चेहरों को सौंपने और अपने कर्मियों के मामले प्राथमिकता से उठाने का फैसला हुआ है।
सचिवालय में स्वीकृत पदों की संख्या
हरियाणा सचिवालय में वैसे स्वीकृत पदों की बात करें तो जहां पीए (निजी सहायक) के 103 के करीब पद स्वीकृत हैं। वहीं, पीएस (निजी सचिव) के लगभग 56 पद स्वीकृत हैं। पीए और पीएस, स्टैनों की ओर से एक संगठन भी सचिवालय में बनाया है, लेकिन कभी भी मुखर होकर अपनी बात इन्होंने नहीं रखी। इनका कहना है कि उनके स्वीकृत पदों पर जूनियर लोगों को बैठा दिया जाना नियमों की अनदेखी है। सूत्रों की माने तो पहली बार हरियाणा सचिवालय और बाहर चर्चा है कि मंत्रियों के पास में लगने वाले स्टाफ की खुफिया जांच की भी चर्चा चल रही है, ताकि पूर्व में सत्ताधारियों के पास लंबे वक्त तक रहकर कई तरह की सुर्खियां बटोरने वालों को इस बार दूर रखने की कवायद भी चल रही है।
स्टाफ की नियुक्ति को लेकर स्थिति साफ नहीं
खास बात यह है कि अभी तक मंत्रियों के पास स्टाफ लगने को लेकर मारामारी है। वैसे, कुछ कर्मियों के आदेश जारी भी हुए हैं, साथ ही कुछ के आदेश बुधवार की देर रात तक होने की उम्मीद है। उसके बाद भी पीए, पीएस और बाकी स्टाफ में लगने के लिए मारामारी व सिफारिशों का दौर चल रहा है। स्टाफ में लगने के लिए लंबी लाइन है। दरअसल अपने रसूख और संबंधों के बल पर सचिवालय स्टाफ द्वारा मंत्रियों के पास में सिफारिश लगाई जा रही है। बड़ी संख्या में अफसरों के पास में तैनात कर्मचारी भी सुख सुविधाओं और प्रभाव को देखते हुए मंत्रियों के पास लगने के इच्छुक हैं। यही कारण भी है कि कई मंत्रियों की ओर से कई नामों की सिफारिश भेजी गई है। तैनात करने वाले अफसर भी धर्मसंकट में फंसे हुए हैं।