Land Reform Law: हरियाणा के ओबीसी, एससी और ब्राह्मण समाज ने भूमि सुधार कानून के लिए पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हाई कोर्ट का आभार व्यक्त किया है। क्योंकि हुड्डा सरकार के बनाए कानून को हाईकोर्ट ने पूरी तरह संवैधानिक बताते हुए इसकी तारीफ की है। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में कई वर्गों को भूमि का मालिकाना हक देने के लिए हुड्डा सरकार में तत्कालीन मंत्री स्व: शिव चरण लाल शर्मा पूर्व राजस्व मंत्री ने दोहलीदार, बूटीमार और भोंडेमार मुकरारीदार अधिनियम 2010 लागू किया था। इसका मकसद सालों पहले अलग-अलग गांवों में दूसरे जगहों से आकर बसे उन वर्गों को जमीन का मालिकाना हक देना था, जिन्हें पंचायतों और अन्य किसी से जमीन दान में मिली थी।
इन वर्गों को किया गया था शामिल
लाभार्थियों में ब्राह्मण, पुजारी, जांगड़ा ब्राह्मण, पुरोहित, नाई, लोहार, प्रजापत, धानक, वाल्मीकि, बड़बुजा, गोस्वामी, स्वामी, धोबी, तेली और अन्य कारीगर वर्गों को शामिल किया गया था। सालों से दान में ली गई जमीन पर रहने, बसने और खेती करने के बावजूद इन वर्गों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया था। इसलिए ना वो इस जमीन को आगे बेच सकते थे और न ही किसी तरह का लोन ले सकते थे। इस कारण हुड्डा सरकार ने कानून बनाकर उन्हें मालिकाना हक देने का फैसला लिया था।
कोर्ट में पहुंचा मामला
2018 में बीजेपी सरकार ने हुड्डा सरकार के कानून को निरस्त कर दिया। कांग्रेस ने इस मुद्दे को बार-बार विधानसभा में भी उठाया। लेकिन बहुमत के जोर पर बीजेपी ने 2010 के कानून में संशोधन करके लाभार्थियों से जमीन वापिस लेने का कानून पास कर दिया। बीजेपी ने लाभार्थियों से जमीन खाली करवाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। जिसके बाद यह पूरा मामला कोर्ट पहुंच गया।
आखिरकार कोर्ट ने न सिर्फ हुड्डा सरकार द्वारा बनाए गए कानून को वैधानिक करार दिया है बल्कि इसकी तारीफ भी की है। कोर्ट ने कहा कि कृषि सुधारों का उत्कृष्ट संवैधानिक उद्देश्य इस कानून के द्वारा प्राप्त हुआ है। इस कानून ने कृषि सामंतवाद की प्रथा को समाप्त किया। यह आवश्यक रूप से एक प्रशंसनीय कृषि सुधार कानून है।
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हाईकोर्ट के लाभार्थी हुए खुश
हाईकोर्ट के इस फैसले से ओबीसी, एससी और ब्राह्मण समेत सभी लाभार्थी काफी खुश हैं। नीरज शर्मा का कहना है कोर्ट के फैसले से बीजेपी की साजिश विफल हो गई है। बीजेपी कभी भी गरीब और वंचित वर्गों को जमीन का हक देने की पक्षधर नहीं रही। इसलिए उसने हुड्डा सरकार के भूमि सुधार कानून का भी विरोध किया और 100-100 गज के मुफ्त प्लॉट आवंटन की योजना को भी बंद किया।