नारनौंद/हिसार: हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर विश्व के मानचित्र पर अंकित राखीगढ़ी गांव एक बार फिर सुर्खियों में है। राखीगढ़ी में टीले नंबर एक पर खुदाई शुरू की गई है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान के छात्र इन टीलों पर खुदाई करके हजारों वर्ष पुरानी हड़प्पा कालीन सभ्यता के अवशेष निकालने का काम करेंगे। अबकी बार खुदाई टीलें नंबर एक, तीन और सात पर की जाएगी। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है।
टीले नंबर एक पर बनाए स्ट्रेंच
टीले नंबर एक पर ही स्ट्रेंच बनाए गए हैं। पिछले वर्ष भी इन टीलों पर खुदाई की गई थी और काफी अहम अवशेष मिले थे। उसके बाद खुदाई वाले स्थान को पॉलिथीन लगाकर बंद कर दिया था। खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और चंडीगढ़ मंडल की तरफ से की जाएगी। यह खुदाई फरवरी महीने से शुरू होकर अक्टूबर तक चलेगी। राखी की डीपी अब तक हुई खुदाई के दौरान जो भी अवशेष निकले हैं उनको दिल्ली के नेशनल म्यूजियम सहित पुणे में भी रखा गया है।
कब-कब हुई राखी गढ़ी में खुदाई
राखीगढ़ी में सबसे पहले 1997 से 2000 तक खुदाई की गई थी। उसके बाद दूसरी बार 2012 से 2014, तीसरी बार 2014 से 2016 तक, चौथी बार 2021 से 2022, पांचवीं बार 2022 से 2023 और छठी बार 2024 में अब खुदाई शुरू हुई है। समय-समय पर हुई खुदाई के दौरान यहां से हड़प्पा कालीव सभ्यता से जुड़े अहम अवशेष मिले है, जिससे हड़प्पा के समय की संस्कृति को समझने का अवसर मिला है। इन अवशेषों से युवा पीढ़ी को भी काफी कुछ जानने का मौका मिल रहा है।
अलग-अलग टीलों की खुदाई में मिले काफी अवशेष
राखीगढ़ी में अब तक खुदाई के दौरान अलग-अलग टीलों पर काफी अवशेष मिल चुके हैं। जिनमें मिट्टी के विभिन्न प्रकार के खिलौने और आभूषण, शंख से बने आभूषण, पत्थर एवं तांबे के उपकरण, मनके, शेलखड़ी, फियांस, शंख, मूल्यवान पत्थर, पत्थरों और मिट्टी को पकाकर निर्मित मनके, मिट्टी को पकाकर बनाई गई वस्तुएं जैसे पशु की आकृतियां, चूड़ियां, खिलौना गाड़ी पहिए, मिट्टी को पकाकर निर्मित तिकोने, गोलाकार एवं आयताकार केक, विभिन्न प्रकार की तांबे की वस्तुएं, चर्ट ब्लेड इत्यादि शामिल है।