हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से जननायक जनता पार्टी (जजपा) के कार्यकर्ताओं में उत्साह होना लाजमी है। दरअसल, इस सीट पर भजनलाल और चौधरी वीरेंद्र सिंह के अलावा चौटाला परिवार का भी दबदबा रहा है। यही कारण है कि इनेलो से टूटकर बनी जननायक जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 में हिसार की सीट मांग रही है। दुष्यंत चौटाला ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर हमारी मांग स्वीकार नहीं की जाती है, तो हम सभी दस लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। यही नहीं, भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने भी हिसार लोकसभा सीट पर पहले से दावेदारी ठोंक रखी है। ऐसे में बीजेपी के लिए हिसार लोकसभा सीट पर प्रत्याशी का चयन करने के लिए खासी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि बृजेंद्र सिंह और उनके पिता चौधरी वीरेंद्र सिंह ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को यह झटका किस वजह से दिया है।
बृजेंद्र सिंह के इस्तीफा देने के पीछे कई कारण
मां प्रेमलता काे टिकट न मिलने का डर
जानकार बताते हैं कि चौधरी वीरेंद्र सिंह और बृजेंद्र सिंह जेजेपी-बीजेपी में विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन के खिलाफ हैं। कारण यह है कि दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से विधायक हैं, जहां से वीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता पूर्व विधायक रही हैं। ऐसे में अगर गठबंधन जारी रहता है, तो उचाना कलां से प्रेमलता का टिकट कट सकता है। चौधरी वीरेंद्र सिंह काफी समय से अपनी पत्नी की टिकट पक्की करने का दबाव बना रहे थे। यही नहीं, बृजेंद्र सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अकेले लड़ना चाहिए। बीजेपी कार्यकर्ता जेजेपी के साथ गठबंधन नहीं चाहते हैं।
बृजेंद्र सिंह को अपना टिकट कटने का भी खतरा
बीजेपी ने भले ही हरियाणा लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की, लेकिन बृजेंद्र सिंह ने पहले ही पार्टी को अलविदा बोल दिया है। इसकी वजह यह है कि बृजेंद्र सिंह को लगता है कि उनका टिकट कट सकता है। दरअसल, एक तरफ जहां दुष्यंत चौटाला हिसार लोकसभा सीट से टिकट चाह रहे हैं, वहीं कुलदीप बिश्नोई ने भी दावा किया था कि वे इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। यह दोहरी दावेदारी भी बृजेंद्र सिंह के इस्तीफे की वजह बनी है।
इस्तीफे की तीसरी वजह किसान आंदोलन
बृजेंद्र सिंह के इस्तीफे की तीसरी वजह किसान आंदोलन बताया जा रहा है। बृजेंद्र सिंह ने कांग्रेस जॉइन करने के बाद इस्तीफे की जो वजह बताई हैं, उसमें किसान आंदोलन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दों समेत अन्य राजनीतिक कारणों के चलते इस्तीफा दे रहा हूं। बता दें कि इस किसान आंदोलन में सबसे ज्यादा बवाल हिसार में ही हुआ है। यहां सबसे पहले खाप पंचायत का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश की सभी खाप पंचायतों से किसान आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया गया था। यही नहीं, हिसार से किसानों ने शंभू बॉर्डर चूक करना शुरू कर दिया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया। इसके बाद खाप पंचायत ने ऐलान किया था कि बीजेपी नेताओं को किसी गांव में नहीं घुसने देंगे। यही बड़ा कारण रहा कि बृजेंद्र ने इस्तीफा देने की वजह में किसान आंदोलन को भी शामिल कर लिया ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में उन्हें खाप पंचायतों का समर्थन मिल सके।
बीजेपी की क्या रहेगी रणनीति
कांग्रेस ने 20 साल पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में हिसार सीट जीती थी। उसके बाद से हार का सामना करना पड़ा है। अब बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने से उम्मीद जगी है कि हिसार लोकसभा सीट जीती जा सकती है। अब सवाल उठता है कि इस जाटलैंड पर बीजेपी किसे चुनावी मैदान में उतारेगी। बता दें कि दुष्यंत चौटाला पहले भी इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई को 31,647 वोटों से हराया था।
वहीं, कुलदीप बिश्नोई ने 2011 में अपने पिता भजनलाल के निधन के बाद हिसार लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई जीत नहीं सके और तीसरे स्थान पर रहे। वहीं दुष्यंत चौटाला दूसरे स्थान पर थे। यही कारण है कि कुलदीप बिश्नोई राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय से हिसार लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी हरियाणा की इस हॉट लोकसभा सीट से किसे चुनाव मैदान में उतारेगी।