Historical Temples: हरियाणा न सिर्फ अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है बल्कि इस राज्य का धार्मिक महत्व भी उतना ही है। आज भी हरियाणा में प्राचीन काल के कई मंदिर मौजूद हैं। ये मंदिर धार्मिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। संस्कृति और विरासत को संभाले ये मंदिर देशभर में प्रसिद्ध हैं। इन प्राचीन मंदिरों में देशभर के पर्यटक यहां अपनी मनोकामना पुरी करने के लिए आते हैं। हम आपको ऐसे मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं जो मशहूर होने के साथ-साथ जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व है।
चंडी मंदिर
चंडी मंदिर हरियाणा का सबसे पुराना मंदिर है। कहा जाता है की यह मंदिर 5,100 साल से भी अधिक पुराना है। यह मंदिर हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़-कालका-शिमला हाईवे पर स्थित है जिन्हें, महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। इसी मंदिर के नाम पर चंडीगढ़ शहर का नाम पड़ा है। इस मंदिर की की मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
भद्रकाली मंदिर
भद्रकाली मंदिर कुरुक्षेत्र जिले में है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएं है। यह मंदिर हरियाणा का एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ है, जहां भद्रकाली शक्ति के रूप में विराजमान है। वैसे तो कुरुक्षेत्र में मां के 52 शक्तिपीठ है लेकिन उनमें से यह एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ भद्रकाली मंदिर ही है। इस मंदिर को श्री देवीकूप शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। भद्रकाली मंदिर का धार्मिक महत्व माता सती से जुड़ा हुआ है। माता सती के आत्मदाह के बाद जब भगवान शिव, सती की देह लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 52 हिस्से कर दिए। मां सती के शरीर के हिस्से जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी। माना जाता है कि भद्रकाली शक्तिपीठ में देवी सती का दायां पैर गिरा था।
भीमा देवी मंदिर
हरियाणा का भीमा देवी मंदिर बेहद ही प्राचीन मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना गुर्जर प्रतिहारस के शासन काल में हुई थी। इस मंदिर के सामने ही पिंजौर गार्डन है जो कि मुगल गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। इस गार्डन की स्थापना औरंगजेब के सौतेले भाई ने की थी। कहा जाता है कि इस गार्डन को औरंगजेब के सौतेले भाई ने हिंदू मंदिरों को तोड़ने से बचाने के लिए बनवाया था। भारत का इतिहास कहता है कि 13वीं और 17 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कई हिंदू मंदिरों को तुड़वा दिया था। भीमा देवी मंदिर की स्थापना 8वीं से लेकर 11वीं शताब्दी के बीच मानी जाती है। वहीं, इस मंदिर के सामने के पिंजौरी गार्डन की स्थापना इस मंदिर से कई सौ साल बाद की गई थी।
अग्रोहा धाम
अग्रोहा धाम का अपना एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह मंदिर 8 साल में बनकर तैयार हुआ था। साल 1976 में इस धाम का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जो कि साल 1984 में पूरा हुआ। इस धाम के प्रवेश द्वार के बाहर दोनों साइड हाथी की मूर्तियां बनी हुई हैं। इस मंदिर में कई धार्मिक त्योहारों को मनाया जाता है, जो धाम में आने वाले लोगों को एक खास तरह की आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास दिलाता है।