Mangali Village of Hisar: हरियाणा के हिसार के मंगाली गांव का नाम देश के स्वतंत्रता संग्रामों से जुड़ी कहानियों में नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता है। कहा जाता है कि 1857 का वह दिन जब मंगाली के क्रांतिकारियों ने हिसार जेल पर धावा बोला था, आज वह घटना इस गांव की पहचान बन गई है। गांव में उस दौर के शहीदों को याद करने के लिए शहीद स्मारक बनाया गया है। शहीद ही नहीं बल्कि कुछ प्राचीन काल के कुएं भी हैं। इसी में कुछ कुएं ऐसे हुए हैं, जिनका स्वतंत्रता संग्राम में गौरवशाली इतिहास रहा है।

ऐसा ही एक कुआं मंगाली मोहब्बत के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में है, लेकिन अब इसे ढक दिया गया है। अब उसके ऊपर घास और झाड़ियां खड़ी हैं। यह कुआं जलियांवाला बाग नरसंहार की याद दिलाता है। साल 1857 में अंग्रेजों ने जब धावा बोला था, तब 30 से ज्यादा देशभक्तों ने बचने के लिए कुंए में छलांग लगा दी थी। 

हिसार मंगली गांव

कैसे बसा मंगाली गांव

हिसार के इस मंगाली गांव की स्थापना संवत 1488 में हुई थी। इस  गांव राजा ठाकुर ने बसाया था, पहले वह चौधरीवास गांव में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। वहां एक मंगो नाम की दाहिमा रहती थी, जिसे राजा पसंद करते थे। राजा ने उस दाहिमा मंगो से शादी कर ली। इसके बाद जब वह मंगो को लेकर वापस चौधरीवास आ रहे थे तभी बीच में मंगाल गांव पड़ा, जहां पहले जंगल हुआ करता था। यहां उन्होंने देखा कि एक एक शेर सामने खड़ी गाय और उसके बछड़े पर हमला नहीं कर रहा था।  

यह देखकर राजा खुश हो गए और वहीं रहने का फैसला किया। जिस समय गांव बसा उस समय कालटीवाल गोत्र और एक ब्राह्मण साथ था। मंगो से राजा के चार बेटे हुए। जिसके नाम झारा, अकलान, सुरतिया, मोहब्बत रखे गए। ऐसे में राजा ने चारों बेटों के नाम 28 हजार बीघा जमीन बांट दी तो ब्राह्मण को 900 बीघा जमीन दे दी। जिसका हदबस्त नंबर अभी अलग-अलग है।

इसके बाद इस गांव में पीढ़ियां बढ़ती रही लोग बाहर से आकर भी बसने लगे। यहां हिंदू और मुस्लिम संप्रदाय के लोग अधिक रहते हैं।  साथ ही हिसार पर फिरोजशाह तुगलक का शासन भी रहा, उस दौरान हिसार से मंगाली तक चौतंग नदी का निर्माण कराया गया। जो बाद में सिंचाई के काम आई। आज भी चौतंग नदी के अवशेष मंगाली श्मशान घाट के बीचोंबीच देखने को मिलते हैं।  

क्या है मंगाली गांव का इतिहास  

साल 1857 में मंगाली के क्रांतिकारियों ने हिसार जेल पर धावा बोल दिया था, जिसमें 12 अंग्रेज अधिकारी मारे गए थे। उसके बाद अंग्रेजों ने सेना के साथ मंगाली गांव में पुरानी हवेली को घेर लिया था। हवेली की दीवार ऊंची होने और गेट मजबूत होने के कारण सैनिक अंदर नहीं घुस पा रहे थे। अंदर भारी संख्या में क्रांतिकारी मौजूद थे। फिर अंग्रेजों ने एक भेदिये को पानी निकासी की नाली से पिछले भाग से अंदर प्रवेश कराया था।

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अंग्रेज के भेदिये ने नाली से घुसकर मेन गेट खोल दिया था। तब अंग्रेज और सैनिक हवेली में मौजूद क्रांतिकारियों पर टूट पड़े। वहां मौजूद लगभग 300 क्रांतिकारियों में से काफी ने कुंए में छलांग लगा दी थी। जिनमें 30 से ज्यादा मारे गए थे। अब उस हवेली की जगह सरकारी स्कूल है और उस कुएं को ढक दिया गया है। कहा जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके गांव के करीब 500 लोगों ने कुर्बानी दी थी।