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हरियाणाके पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो पर संकट खड़ा हो गया है। खबर है कि पिछले दो विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने की वजह से पार्टी का सिंबल छिन सकता है।

हरियाणा विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत के एक हफ्ते बाद भी जहां बीजेपी अपनी जीत का जश्न मनाने में लगी हुई है। वहीं कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा ईवीएम मशीन और अपने नेताओं पर फोड़ती हुई नजर आ रही है। इन दोनों पार्टियों के अलावा एक ऐसी पार्टी है, जिसके अस्तित्व पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है और पार्टी का सिंबल भी छिन सकता है। आइए जानते हैं कि वो कौन सी पार्टी है, जो पिछले दो विधानसभा चुनावों से अपने अस्तित्व को बचाने में लगी हुई है। 

दरअसल, हम बात कर रहे हैं प्रदेश के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की। कहा जा रहा है कि इनेलो का इलेक्शन सिंबल छिन सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनेलो को इस बार केवल दो विधानसभा सीटे मिली है और पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो को केवल एक विधानसभा सीट ही मिली थी। जानकार बताते हैं कि किसी भी पार्टी का सिंबल बने रहने के लिए दो चुनाव में कम से कम तीन सीट और तीन फीसदी वोट हासिल करना जरूरी होता है। लेकिन, इनेलो पिछले दोनों विधानसभा चुनाव में यह नहीं कर पाई है। जिसके बाद से इनेलो के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। 

खबरों की मानें, तो इस बार इनेलो को केवल 4.14 फीसदी ही वोट मिले है और पार्टी 90 विधानसभा सीटों में से केवल दो सीटें ही जीत पाई है। भले ही इनेलो को दो सीट मिल गई हो। लेकिन, उसका वोट शेयर 6 फीसदी से कम रहा है। वहीं साल  2019 के विधानसभा चुनाव में तो इनेलो केवल एक ही सीट पर सिमट कर रह गई थी। पार्टी का वोट शेयर भी 2.44 फीसदी ही रहा था। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इनलो (INLD) के सिंबल और अस्तित्व दोनों पर ही खतरा मंडरा रहा है। 

बता दें कि हरियाणा में 2019 विधानसभा चुनाव से पहले इनेलो का दबदबा हुआ करता था। साल 1998 में इनेलो को क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला था। पार्टी ने चार लोकसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले इनेलो में फूट पड़ गई और इससे निकलकर जेजेपी अलग पार्टी बन गई। इसका नुकसान इनेलो को झेलना पड़ा और 2019 के विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट ही मिली थी। वहीं जजपा ने 10 सीटें हासिल कर ली थी और बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। लेकिन, इस बार के विधानसभा चुनावों में जजपा का भी सुपड़ा साफ हो गया है। पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली है। ये ही नहीं जजपा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जमानत जब्त हो गई। वह अपनी सीट भी नहीं बचा पाए।

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