Jind : सर्दी के मौसम में विदेशी पंछियों के कलरव से गुलजार रहने वाले जिले के अंतिम छोर के गांव कालवन में आठ विदेशी पंछियों की मौत से क्षेत्र में हडकंप मच गया। सूचना मिलने पर वन्य प्राणी विभाग का अमला मौके पर पहुंचा और हालातों का जायजा लिया। प्रवास स्थल पर मरे विदेशी पंछियों का वन्य प्राणी विभाग ने पोस्टमार्टम करवा कर दफना दिया। मंगलवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने की संभावना है। प्रथम दृष्टि में निमोनिया के लक्षण मृत पंछियों में दिखाई दिए है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद विदेशी पंछियों की मौत के रहस्य से पर्दा उठ सकेगा।

विदेशी पंछी आठ बार हैडिड गुज की हुई मौत

गांव कालवन के महर्षि दयानंद सरस्वती प्रवासी पक्षी संरक्षण स्थल में गत दिवस आठ बार हैडिड गुज मृत मिली। पंछी प्रवास स्थल की निगरानी कर रहे कर्मियों से सूचना पाकर वन्य प्राणी विभाग मौके पर पहुंच गया और हालातों का जायजा लिया। प्रथम दृष्टि में मृत पंछियों में निमोनिया के लक्षण दिखाई दिए। वन्य प्राणी विभाग ने विदेशी पंछियों की मौत को गंभीरता से लेते हुए वेटरनरी सर्जन को बुला कर मृत पंछियों का पोस्टमार्टम करा उन्हें दफना दिया और विसरा जांच के लिए लैबोरेट्री भेज दिया। जांच रिपोर्ट मंगलवार को मिलने की संभावना है।

विदेशी मेहमानों से गुलजार है कालवन 

गांव कालवन पंछी संरक्षण केंद्र विदेशी पंछियों के कलरव से गुलजार है। यूरोप, साइबेरिया, चाइना समेत ठंडे इलाकों से हजारों मेहमान पंछी हजारों किलोमीटर की उडान भरकर गांव के पक्षी प्रवास स्थल पर डेरा डाले हुए है। 45 से भी अधिक प्रजातियों के हजारों पंछी फरवरी माह के अंत तक यहां प्रवास करेंगे ओर प्रजनन भी करेंगे। मौसम के मिजाज में हलकी सी गर्माहट आने के साथ अपने बच्चों के साथ ठंडे प्रदेशों की तरफ उडान भर जाएंगे।

28 एकड़ में फैला है पंछी प्रवास स्थल, प्राकृतिक मिल रहा माहौल

गांव कालवन में विदेशी पंछी प्रवास स्थल लगभग 28 एकड़ में फैला हुआ है। तापमान दस डिग्री से नीचे आने के साथ विदेशी मेहमान पक्षियों का आगमन भी तेज हो गया है। विदेशी पंछियों को यह प्रवास स्थल खूब रास आ रहा है। आबादी से हटकर तालाब के चारों तरफ अच्छी खासी संख्या में पेड़ पौधे हैं। जो पंछियों को उनके माहौल के अनुरूप बनाते है और पंछियों को संरक्षण भी यहां पर मिलता है।

दो हजार से ज्यादा 45 प्रजातियों के पहुंचे विदेशी पंछी मेहमान

कालवन पंछी प्रवास स्थल में नवम्बर के अंतिम सप्ताह में साइबेरिया, यूरोप, चाइना, भुटान समेत अन्य ठंडे इलाकों से विदेशी पंछियों का आगमन शुरु हो गया था। दो हजार से ज्यादा 45 प्रजातियों के पंछी यहां पर पहुंच चुके हैं। जिनमें मुख्य तौर पर चाइना से ग्रेटर कोरमोनेंट, कॉमन क्यूट, भुटान से पोचार्ड, चाइना से नॉर्दन सावर, मैलार्ड, नोदर्न पिंटी, साइबेरिया से लार्जर विसलिंग डक, पाइट एवोस्ट, यूरोप से ग्रेटर फलेमिंगो बार हैडिड गुज समेत अन्य प्रजातियों के पंछी शामिल हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट का किया जा रहा इंतजार 

वन्य प्राणी विभाग के निरीक्षक मनबीर खटकड ने बताया कि आठ बार हैडिड गुज की मौत हुई है। प्रथम दृष्टि में निमोनिया के लक्षण दिखाई दिए है। जिनका पोस्टमार्टम कराया गया है। रिर्पोट का इंतजार है। संरक्षण स्थल पर  45 प्रजातियों के लगभग दो हजार पंछी यहां पर पहुंच चुके हैं। जो फरवरी माह के अंत तक यहां प्रवास करने के साथ-साथ प्रजनन करेंगे।