नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: लोकसभा चुनावों में फ्लॉप साबित हो चुकी इनेलो और जेजेपी दोनों ही पार्टियां विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत बनाने का पूरा प्रयास करेंगी। 2000 तक समूचे अहीरवाल क्षेत्र में इनेलो की ताकत मजबूत रही थी। इसके बाद भी पार्टी ने कुछ सीटों पर दबदबा बनाए रखा, परंतु इनेलो और जेजेपी अलग होने के बाद इस क्षेत्र में दोनों दलों का भारी नुकसान हो चुका है। जिले के तीनों हलकों में पार्टी के पास इस समय कोई ऐसा मजबूत चेहरा नहीं है, जिसके सहारे दोनों पार्टियां अपनी मजबूत उपस्थिति विधानसभा चुनावों में दर्ज करा सकें। ऐसे में इन दोनों दलों की नजरें टिकट से वंचित रहने के बाद दल बदलने में माहिर प्रभावी चेहरों पर रहेंगी।
इनेलो कोसली व बावल में दर्ज करवा चुकी अपनी उपस्थिति
इनेलो कोसली और बावल दोनों हलकों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। इन हलकों में न सिर्फ पार्टी प्रत्याशी जीत हासिल कर चुके हैं, बल्कि दूसरे दलों को कड़ी टक्कर भी दे चुके हैं। ऐसे प्रभावशाली इनेलो के विभाजन के बाद से ही पार्टी को अलविदा कर चुके हैं। किसी समय कोसली में जगदीश यादव, रेवाड़ी में सतीश यादव व बावल में डॉ. एमएल रंगा तथा रामेश्वर दयाल प्रभावशाली चेहरों के रूप में मौजूद रह चुके हैं। इनमें से डॉ. एमएल रंगा व रामेश्वर दयाय बावल से इनेलो की टिकट पर विधायक बन चुके हैं। जगदीश यादव कड़ी टक्कर दे चुके हैं, लेकिन हविपा को छोड़ने के बाद उन्हें दूसरी बार विधायक बनने का मौका नहीं मिला। सतीश यादव भी रेवाड़ी में एक बार कांग्रेस प्रत्याशी को सीधी टक्कर दे चुके हैं। इसी तरह बावल से श्यामसुदंर सभरवाल वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी डॉ. बनवारीलाल को सीधी टक्कर दे चुके हैं।
नाराज होने वालों पर रहेगी नजर
तीनों हलकों में ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो मौका मिलते ही पार्टी बदलने में देर नहीं लगाते। लोकसभा चुनावों के दौरान जसवंत सिंह भाजपा से कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। भाजपा और कांग्रेस में टिकट के दावेदारों ही लाइन बढ़ चुकी है। दोनों दलों से टिकट से वंचित रहने वाले कुछ नेता हर हाल में चुनाव लड़ने की इच्छा के साथ दूसरे दलों की ओर रुख कर सकते हैं। ऐसे नेताओं का इनेलो और जेजेपी दोनों को इंतजार रहेगा।
अभय सिंह चौटाला दे चुके संकेत
हाल ही में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में अभयसिंह चौटाला इस बात के संकेत चुके हैं कि विधानसभा चुनाव करीब आते ही कई प्रभावशाली नेता इनेलो की ओर रुख कर सकते हैं। कुछ इसी तरह का इंतजार दुष्यंत चौटाला को रहेगा। दोनों दल जिले के कम से कम कोसली और बावल दो हलकों में एक बार फिर से अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरी ताकत लगाने में पीछे नहीं रहेंगे।