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किसान आंदोलन के चलते 13 महीने से बंद खनौरी बॉर्डर को भी प्रशासन ने पूरी तरह खाली करवाकर यातायात चालू करवा दिया है। पंजाब बॉर्डर के बंद होने से वहां के उद्योगों को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान आंका जा रहा है। हरियाणा पुलिस ने जींद में दात्ता सिंह वाला बॉर्डर से किसानों को रोकने के लिए रखे अवरोधकों को हटाया। पंजाब पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से किसानों के पक्के मोर्चे और ट्रैक्टर-ट्रालियों को दूर कर रास्ते को साफ करवाया।

किसान आंदोलन के 13 महीने बाद खनौरी बॉर्डर चालू : किसान आंदोलन 2.0 के चलते 13 महीने से बंद खनौरी बॉर्डर भी शुक्रवार को चालू हो गया। इस दिल्ली-पटियाला हाईवे पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। 19 मार्च को किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पंजाब पुलिस ने सड़क पर लगे किसानों के पक्के मार्चे हटाना शुरू कर दिया था। हरियाणा पुलिस ने भी अपने क्षेत्र की दात्ता सिंह वाला बॉर्डर से बैरिकेड़िग साफ कर दी थी। पंजाब की ओर से पुलिस ने पूरे रास्ते को खाली करवाकर अब इसे आमजन के लिए शुरू कर दिया है। अब लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं, 100 से ज्यादा किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हरियाणा-पंजाब में जगह-जगह रोष प्रदर्शन किए जा रहे हैं। 

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13 फरवरी से दोनों बॉर्डर पर बैठे थे किसान

किसानों ने 13 फरवरी, 2024 में दिल्ली कूच में विफल रहने के बाद अंबाला के पास शंभू बॉर्डर और जींद के पास खनौरी बॉर्डर पर पक्के मोर्चे लगा दिए थे। 19 मार्च 2025 को केंद्र और किसानों के बीच 7वीं वार्ता भी फेल हो गई। किसानों की मुख्य मांग MSP की कानूनी गारंटी की है। दो मुख्य बॉर्डर बंद होने से पंजाब सरकार पर लगातार आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा था। इसके चलते 19 मार्च को आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल व सरवण सिंह पंधेर समेत अन्य को हिरासत में ले लिया। इसके बाद दोनों बॉर्डर पुलिस ने जबरदस्ती खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू की। शंभू बॉर्डर को 20 मार्च से शुरू करवा दिया गया था। वहीं, खनौरी बॉर्डर को अब 21 मार्च से खोल दिया गया है। 

10 हजार करोड़ रुपये का उद्योगों को नुकसान

पंजाब में दो बॉर्डर के बंद होने से उद्योगों को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान बताया जा रहा है। बॉर्डर बंद होने से जहां ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ गई वहीं ऑर्डर में भी कमी आई। नई इंडस्ट्री के निवेश पर भी असर पड़ा। इन सब बातों का पंजाब की आप सरकार पर बेहद दबाव नजर आया क्योंकि पहले ही पंजाब की माली हालत खस्ता है। 

पंजाब सरकार के साथ वार्ता का किसानों ने किया बहिष्कार

पंजाब के 2 किसान संगठनों ने पंजाब सरकार की ओर से चंडीगढ़ में बुलाई मीटिंग का बहिष्कार कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के पंजाब चैप्टर और भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) को न्योता भेजा गया था, लेकिन उन्होंने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि पहले हिरासत में लिए नेताओं को रिहा किए जाए। वहीं, पंजाब विधानसभा में भी इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल जालंधर कैंट के रेस्ट हाउस में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवण सिंह पंधेर समेत 101 किसानों को पटियाला की सेंट्रल जेल भेजा गया है।

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