पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसान 100 से अधिक दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसान नेताओं को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ उनकी मांगों को सुनकर लिखित आश्वासन दिया जाएगा, लेकिन पांच दौर की वार्ता विफल होने के बाद केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी। ऐसे में न केवल हरियाणा में बल्कि पंजाब में भी भाजपा नेताओं का घेराव किया गया।
यही नहीं, लोगों से भी अपील की गई कि 'नफरत की दुकान' को बंद करने में सहयोग करें। आज पंजाब समेत आठ राज्यों में भी अंतिम चरण की मतदान प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे, लेकिन इससे पहले ही किसान नेताओं ने अपनी अगली रणनीति का खुलासा कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि दो जून से शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन तेज कर दिया जाएगा। सभी जगह से किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सवार होकर शंभू बॉर्डर तक पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि कई दिनों से किसान अपनी मांगों को शांतिपूर्वक तरीके से सामने रख रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। किसानों ने भाजपा नेताओं के घरों के बाहर भी धरना दिया ताकि हमारी मांग की गंभीरता को सुनें। उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी सरकार आए, लेकिन हम मांगें पूरी न होने तक आंदोलन करते रहेंगे।
हरियाणा में इन नेताओं को खासा विरोध झेलना पड़ा
हरियाणा में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। हिसार में बीजेपी प्रत्याशी रणजीत चौटाला, जेजेपी प्रत्याशी नैना चौटाला और सिरसा में बीजेपी प्रत्याशी अशोक तंवर को किसानों के विरोध के कारण चुनाव प्रचार में खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
यही नहीं, गृह मंत्री अनिल विज को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। वे 21 मई को अंबाला के गांवा पंजोखरा में बीजेपी प्रत्याशी बंतो कटारिया के समर्थन में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे। यहां भी किसानों ने यही दबाव बनाया था कि अगर आप किसानों के साथ हैं, तो बीजेपी छोड़कर हमारे साथ आ जाएं।
खास बात है कि भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों से अपील की थी कि प्रत्याशियों से बदतमीजी न की जाए, यह गलत बात है। बावजूद इसके रह-रहकर बीजेपी नेताओं के चुनाव प्रचार में खलल डालने के मामले सामने आते रहे।
अब लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में आज पंजाब समेत बाकी राज्यों में मतदान प्रक्रिया पूरी होने वाली, जिसके बाद 4 जून को नतीजे सामने आएंगे। यही कारण है कि किसानों ने आगे की लड़ाई के लिए अभी से रणनीति तैयार कर ली है।