Kuldeep Bishnoi meeting with Amit Shah: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बाद से ही पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी। अब राज्यसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही कुलदीप बिश्नोई फिर एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। लोग इस मीटिंग पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि कुलदीप ने पिछली बार विधानसभा चुनाव से पहले हुए राज्यसभा चुनाव के समय दिल्ली का चक्कर लगाया था, लेकिन पार्टी ने इन्हें इग्नोर करके पूर्व विधायक किरण चौधरी को राज्यसभा का टिकट दिया था। 

कृष्ण लाल पंवार की राज्यसभा सीट पर होगा चुनाव 

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार को पानीपत की इसराना विधानसभा से टिकट दिया। कृष्ण लाल पंवार ने यहां से जीत हासिल की और मंत्री बन गए। विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई। 20 दिसंबर को इस सीट के लिए वोटिंग होनी है और 10 दिसंबर को नामांकन की अंतिम तिथि है। 

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अमित शाह से मुलाकात को लेकर पोस्ट शेयर

10 दिसंबर से पहले भाजपा को राज्यसभा सीट के लिए अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारना है। ऐसे में कुलदीप बिश्नोई एक बार फिर टिकट के लिए कोशिश में लग गए हैं और इसके लिए उन्होंने दिल्ली दरबार जाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद कुलदीप ने एक्स पर एक पोस्ट भी शेयर किया।

 
कुलदीप बिश्नोई ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि 'माननीय अमित शाह जी से शिष्टाचार मुलाकात हुई। महाराष्ट्र में प्रचंड जीत पर बधाई दी, आशीर्वाद लिया और लंबी राजनीतिक चर्चा की। मेरी बातों को ध्यान से सुनने के लिए, इतना स्नेह देने के लिए और इतना लंबा समय देने के लिए आभार।' 

गैर जाट चेहरे के रूप में दावेदारी पेश कर रहे कुलदीप बिश्नोई

बता दें कि हरियाणा में गैर जाट वोटर भाजपा की ताकत माने जाते हैं। ऐसे में कुलदीप बिश्नोई गैर जाट चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और इस वोट बैंक को जोड़े रखने में सहायक बनना चाहते हैं। कुलदीप के स्वर्गवासी पिता 3 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उस दौरान प्रदेश का संपूर्ण नॉन जाट वोटर उनके साथ था। बाद में उन वोटरों ने 2011 से 2014 के बीच कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस का साथ दिया। 2014 में हरियाणा जनहित कांग्रेस और भाजपा का गठबंधन हो गया। इसके बाद नॉन जाट वोटर भाजपा के साथ आ गए।  

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