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Kuldeep Bishnoi: हरियाणा की राजनीति नया मोड़ ले सकती है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई भाजपा से दूरी बना रहे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वो कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।

Kuldeep Bishnoi: हरियाणा के भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई ने हार के बाद से पार्टी से दूरी बनाई हुई है। इन दिनों वो न तो भाजपा की बैठकों में शामिल हो रहे हैं और न ही पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी हिसार आएंगे और ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कुलदीप बिश्नोई मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। वहीं राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिश्नोई कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

आदमपुर और फतेहाबाद समेत कई सीटों पर जीत का दावा

बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई  को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया था। चुनाव से पहले वे आदमपुर और फतेहाबाद सहित कई सीटों पर जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनके बेटे भव्य बिश्नोई अपने गढ़ आदमपुर से चुनाव लड़े और हार गए। इसके बाद से ही कुलदीप बिश्नोई का दबदबा भाजपा में कम होता नजर आ रहा है। हालांकि अपनी हार को लेकर कुलदीप बिश्नोई ने लोगों के बीच जाकर समीक्षा की। 

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इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए बिश्नोई

हाल ही में हिसार में सदस्यता अभियान की बैठक हुई थी। इस दौरान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली भी इस बैठक में शामिल हुए थे। इसके साथ ही हलकों के प्रत्याशी और विधायक शामिल हुए थे, लेकिन कुलदीप बिश्नोई और भव्य बिश्नोई इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

इसके अलावा पंचकूला में 2 दिवसीय समीक्षा बैठक का आयोजन हुआ था। इस बैठक में भी चुनाव प्रबंधक समिति के संयोजक रहे कुलदीप बिश्नोई नजर नहीं आए। इस बैठक के दौरान हारने वाले उम्मीदवारों से फीडबैक लिया गया था, लेकिन इस बैठक में हार के बावजूद कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई शामिल नहीं हुए।

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा विवाद के बाद राजनीति से दूरी

कहा जा रहा है कि अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के विवाद के बाद से ही बिश्नोई परिवार राजनीति से दूरी बना रहा है। बिश्नोई परिवार इस समय इस विवाद को खत्म करने पर ध्यान दे रहा है। बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न की उपाधि वापस ले चुके हैं। इसके साथ ही उन्हें संरक्षक पद से भी हटाया जा चुका है। कहा जा रहा है कि इन्हीं वजहों से कुलदीप बिश्नोई कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं।

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कांग्रेस में शामिल हो सकता है बिश्नोई परिवार

वहीं राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिश्नोई परिवार कांग्रेस में शामिल हो सकता है। कुलदीप बिश्नोई के बड़े भाई चंद्रमोहन बिश्नोई पंचकूला से कांग्रेस विधायक हैं और वो सांसद कुमारी सैलजा के नजदीकी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि बिश्नोई परिवार भी उनके संपर्क में है। हरियाणा में कांग्रेस की करारी हार के बाद सोशल मीडिया पर चर्चाएं हैं कि सैलजा के SRK गुट में किरण की खाली जगह पर कुलदीप को फिट किया जा सकता है। किरण चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा सांसद बन चुकी हैं। 

SRK गुट में किरण की जगह ले सकते हैं कुलदीप

कुछ दिनों पहले कुमनारी सैलजा से बिश्नोई के कांग्रेस में शामिल होने और SRK गुट में (के) किरण की जगह कुलदीप का नाम शामिल होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

लोकसभा टिकट न मिलने से नाराज हैं बिश्नोई!

वहीं ये भी कहा जा रहा है कि कुलदीप बिश्नोई को लोकसभा चुनाव में हिसार से टिकट नहीं दिया गया, इसलिए वो भाजपा से नाराज हैं और पार्टी से दूरी बना रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी दूर करने के लिए  मुख्यमंत्री नायब सैनी दिल्ली में कुलदीप बिश्नोई को मनाने पहुंचे थे। इसके बाद कुलदीप भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आने लगे। 

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कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक सफर

बता दें कि कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के बेटे हैं। वे पहली बार साल 1998 में आदमपुर से विधायक बने थे। 2004 में उन्होंने भिवानी सीट से लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद साल 2007 में पिता चौधरी भजनलाल के साथ मिलकर हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई। अक्टूबर 2009 में वे एक बार फिर आदमपुर विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

अक्टूबर 2011 में पिता की मृत्यु के बाद वे उपचुनाव में हिसार से सांसद बने। साल 2016 में राहुल गांधी के नेतृत्व में परिवार समेत कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने आदमपुर में एक बार फिर जीत हासिल की और भाजपा नेत्री सोनाली फोगाट को हराया। इसके बाद 04 अगस्त 2022 को वो भाजपा में शामिल हो गए। उस समय मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री थे।

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