हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस को चारों तरफ से हमलों का सामना करना पड़ रहा है। इंडिया गठबंधन के साथी जहां इशारों इशारों में राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं हरियाणा कांग्रेस के कुछ नेता इस हार के लिए भूपेंद्र हुड्डा को सीधे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। शैलजा गुट ने तो एक तरह से भूपेंद्र हुड्डा पर हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्व से पीछे हटने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भूपेंद्र हुड्डा को आज दिल्ली बुलाया है ताकि हार के कारणों पर मंथन हो सके।

सैलजा गुट कर रहा हुड्डा के इस्तीफे की मांग

शैलजा गुट के करीबी परमिंदर पाल परी ने भूपेंद्र हुड्डा पर बड़ा आरोप लगाया है। अंबाला कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी परमिंदर पाल परी का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा की गैंग ने उन्हें हराया है। चित्रा सरवरा ने टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ा। भूपेंद्र हुड्डा बागियों को मनाने के लिए गए, लेकिन चित्रा सरवरा को मनाने नहीं पहुंचे। उन्हें फोन पर कहा कि वो उनकी कैंडिडेट है। परमिंदर ने आगे कहा कि भूपेंद्र हुड्डा बहुमत वाली सरकार नहीं चाहते थे। वे केवल 40 सीटें जीतना चाहते थे ताकि बहुमत हासिल करने के लिए अपने पसंदीदा निर्दलीयों को पार्टी में शामिल कर लें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हार के लिए भूपेंद्र हुड्डा जिम्मेदार हैं।

भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में लड़ा गया आखिरी चुनाव

सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस समर्थक भूपेंद्र हुड्डा को लेकर भावुक पोस्ट कर रहे हैं। हुड्डा समर्थकों का कहना है कि अगर कांग्रेस में हुड्डा के विरोधी गुट एकजुट होकर लड़ते तो कांग्रेस को जीत मिलती। भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में लड़े गए आखिरी चुनाव में भी शानदार विदाई मिलती। उधर, हुड्डा के विरोधी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं कि जाट बहुल क्षेत्र में भी जिस तरह से भाजपा ने प्रदर्शन किया है, उससे स्पष्ट हो गया है कि भूपेंद्र हुड्डा का राजनीति में कद नहीं बचा है, इसलिए अब उम्र और इस करारी हार के कारण हरियाणा कांग्रेस का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए। 

निष्पक्ष भी हुड्डा को घेर रहे

खास बात है कि निष्पक्ष लोग भी भूपेंद्र हुड्डा को घेर रहे हैं। इनका कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस को 30 सीटों से ऊपर बनाए रखने के लिए ठीक हैं, लेकिन बहुमत का आंकड़ा (46 सीटें) हासिल करने के लिए हुड्डा की बजाए सर्वजातीय मान्य नेता की तलाश करनी चाहिए। फिलहाल कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो कि जाटों के साथ सभी 36 बिरादरियों को साथ लेकर चल सके। कुमारी शैलजा भले ही हरियाणा कांग्रेस की बड़ी नेता हैं, लेकिन जाट समाज इस नाम के लिए पूरी तरह से सहमत नहीं होगा।

यही वजह है कि ज्यादातर कांग्रेस समर्थक दबी आवाज में दीपेंद्र हुड्डा को आगे लाने की बात कह रहे हैं, लेकिन यह बात कुमारी शैलजा या रणदीप सुरजेवाला को गवारा नहीं होगी। ऐसे में देखा जाए तो रणदीप सुरजेवाला सटीक नाम नजर आता है, लेकिन सोशल मीडिया पर इनकी चर्चा ही नहीं है। कुल मिलाकर फिलहाल की स्थितियां कांग्रेस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बन चुकी हैं।

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