Ambala Lok Sabha Seat Political analysis: अंबाला लोकसभा क्षेत्र राजनीतिक तौर पर काफी समृद्ध इलाका रहा है। हरियाणा के वर्तमान सीएम नायाब सिंह सैनी, रतनलाल कटारिया और कुमारी सैलाज सहित तमाम दिग्गज यहां से निर्वाचित होते रहे हैं। अंबाला की जनता ने भाजपा कांग्रेस सहित सभी दलों को मौका दिया है। इस बार मुख्य मुकाबला भाजपा के बंतो कटारिया और कांग्रेस के वरुण चौधरी के बीच है। बसपा के पवन भी अंबाला की सियासी माहौल को रोचक बना रहे हैं। आइए जानते हैं जातिगति आंकड़ों और भागौलिक समीकरण के आधार पर अंबाला लोकसभा चुनाव का विश्लेषण...।
हरियाणा जाट बहुल स्टेट है। यहां की राजनीति में जाट मतदाताओं का अहम रोल रहा है, लेकिन गुरुग्राम और अंबाला दो ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं, जहां की हार-जीत गैरजाट मतदाता ही तय करते हैं। खासकर, 45 फीसदी से अधिक जनरल मतदाताओं की इसमें अहम भूमिका होती है। पिछले 10 साल से अंबाला में रतनलाल कटारिया सांसद हैं। इससे पहले कांग्रेस की कुमारी सैलजा सांसद रहीं।
हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों में छठे चरण में 25 मई को मतदान है। अंबाला लोकसभा सीट में चुनाव मुकाबला दिलचस्प है। यहां बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने नए चेहरे उतारे हैं।
अंबाला लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
राजनीतिक विश्लेषक योगेंदर कथूरिया ने बताया कि अंबाला हरियाणा की इकलौती ऐसी सीट है, जहां सबसे कम 6.8 फीसदी जाट मतदाता है। 45 फीसदी जनरल मतदाता। 8.67 फीसदी ब्राह्मण, 5.8 फीसदी जट सिख, 2.7 फीसदी मुस्लिम, 9.5 पंजाबी, 5.88 वैश्य और 4.7 फीसदी राजपूत मतदाता हैं।
अंबाला में 28.27 ओबीसी मतदता हैं। सर्वाधिक 5 फीसदी सैनी, 4 गुर्जर और 2 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। अंबाला में 27 फीसदी के करीब अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इनमें रविदास समाज के 16 और वाल्मिकि समाज के 5 फीसदी मतदाता हैं।
अंबाला लोकसभा का भागौलिक क्षेत्र
अंबाला लोकसभा सीट में विधानसभा की 9 सीटें कालका, पंचकुला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, मुलाना-SC, साढ़ौरा-SC,जगाधारी और यमुनानगर शामिल हैं। इनमें अंबाला कैंट, पंचकूला और यमुनानगर में बड़ी मात्रा में शहरी मतदाता रहते हैं। जबकि, कालका, नारायणगढ़, मुलाना-SC, साढ़ौरा-SC और जगाधारी में ग्रामीण मतदाता ज्यादा हैं। शहरी मतदाताओं में भाजपा की अच्छी पकड़ है। जबकि, ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का दबदबा है। अनुसूचित जाति खासकर रविदास समाज बसपा का कोर वोटर माना है। हालांकि, समय के साथ इनका झुकाव भी भाजपा कांग्रेस की ओर बढ़ा है।
अंबाला में कुल कितने वोटर्स
अंबाला की कुल आबादी 26,23,581 है। मतदाताओं की बात करें तो अंबाला में कुल 17,57,524 वोटर्स हैं। इनमें से 9,38,972 पुरुष मतदाता और 8,18,549 महिला वोटर्स हैं।
अंबाला लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
अंबाला लोकसभा सीट की जनता ने कांग्रेस-बीजेपी सहित सभी प्रमुख दलों को मौका दिया है। 17 चुनावों में 9 कांग्रेस ने जीत हासिल की। जबकि, बीजेपी ने 5 चुनाव जीते। बसपा, आईएनएलडी, जेएनपी, बीएलडी सहित अन्य पार्टियों ने भी यहां से जीत दर्ज की है। 1952 में पहली बार अंबाला से कांग्रेस से टेकचंद ने जीत दर्ज की है। इसके बाद के दो चुनाव 1957 और 1962 में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1977 और 1980 में यह सीट जनता पार्टी के खाते में गई. वहीं, 1998 में बीएसपी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
2014 और 2019 के परिणाम
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रतनलाल कटारिया ने कुमारी सैलजा को 3,40,760 वोटों से हराया था। कटारिया को इस चुनाव में 57 फीसदी यानी 7,44,438 यानी वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस की कुमारी सैलजा को 4,03,678 यानी 30 फीसदी वोट मिले थे। बीएसपी प्रत्याशी नरेश कुमार 96,902 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। इसी प्रकार 2014 में भी कुल मतों का 36 फीसदी हिस्सा यानी 6 लाख 12 हजार 121 वोट लेकर सांसद निर्वाचित हुए। जबकि, कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार बाल्मीकि को 16 फीसदी यानी 2 लाख 72 हजार 047 वोटों के साथ दूसरे नंबर और आईनएलडी की डॉ कुसुम शेरवाल 129571 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।