देश में सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों की 16 मार्च को हुई घोषणा के साथ ही चुनाव का बिगुल बज गया था। हरियाणा में छटे चरण में 25 मई को मतदान होगा तथा चार जून को चुनावों के नतीजे आएंगे। 2019 में प्रदेश की सभी 10 सीटें जीतने वाली भाजपा ने सबसे पहले अपने सभी 10 उम्मीदवारों की घोषणा कर बाजी मार ली थी। जजपा पांच व इनेलो आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार चुकी हैं। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही कांग्रेस अभी तक अपने एक भी उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर पाई है। सूची जारी करने में हो रही देरी के बीच सोशल मीडिया पर जारी हुई कांग्रेस की फर्जी सूची ने टिकट के दावेदारों के साथ मतदाताओं को भी भ्रम में डाल दिया है। कांग्रेस सूची जारी करने में जितनी देरी करेगी, पार्टी को चुनाव में उतना ही नुकसान होगा।
एसआरके व हुड्डा गुट का रार बढ़ा रही संकट
प्रदेश कांग्रेस दो धड़ों एसआरके व हुड्डा गुट में बंटी हुई है। एक गुट का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो दूसरे का संयुक्त रूप से कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी के हाथों में हैं। हुड्डा गुट एसआरके का चेहरा बने तीनों नेताओं को लोकसभा के लिए चुनाव मैदान में उताराना चाह रहा है तथा एसआरके विशेषकर सैलजा भूपेंद्र हुड्डा को लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में देखना चाहती हैं। जिससे रोहतक, भिवानी- महेंद्रगढ़, सिरसा, हिसार व अंबाला सीट पर सबसे अधिक पेंच फंसा हुआ है। रविवार को दिल्ली में हुई कांग्रेस सीईसी की बैठक में दोनों गुटों के अपनी अपनी बात पर अड़े रहने से सूची जारी नहीं हो पाई।
एसआरके व हुड्डा की एक दूसरे को चुनौती
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार व प्रदेश में जल्द होने वाले विस चुनाव का हवाला देकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सार्वजनिक तौर पर स्वयं लोस चुनाव में उतरने से इंकार किया था। उन्होंने कुमारी सैलजा, रणदीप जैसे बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ने की सलाह भी दी थी। जिसके बाद एसआरके नेताओं ने पार्टी हाईकमान पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव मैदान में उतारने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। हुड्डा रोहतक से दीपेंद्र, हिसार से बृजेंद्र या जयप्रकाश, सिरसा से सुशील इंदौरा, अंबाला से कुमारी सैलजा, भिवानी महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह, करनाल से बीरेंद्र मराठा, सोनीपत से सतपाल महाराज, फरीदाबाद से कर्ण सिंह दलाल या महेंद्र प्रताप और गुरुग्राम से राजबबर को चुनाव मैदान में उताराना चाहते हैं। जबकि एसआरके रोहतक या सोनीपत में भूपेंद्र हुड्डा, हिसार में चंद्रमोहन बिश्नोई, भिवानी महेंद्रगढ़ में श्रुति चौधरी, सिरसा में कुमारी सैलजा, अंबाला में वरूण चौधरी को चुनाव लड़वाना चाह रहे हैं।
राज्यसभा की सीट ने भूपेंद्र हुड्डा को फंसाया
एसआरके गुट का तर्क हैं कि दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा से राज्यसभा सांसद हैं। उनके लोकसभा चुनाव लड़ने से कांग्रेस को राज्यसभा की एक सीट से हाथ धोना पड़ेगा। विधानसभा में बहुमत के चलते राज्यसभा की सीट खाली होने पर भाजपा की जीत सुनिश्चित है। एसआरके के नेता राज्यसभा की सीट बचाने के लिए रोहतक से दीपेंद्र की बजाय भूपेंद्र हुड्डा को मैदान में उतारने की बात को मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। जिससे अब तक लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार करने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा एसआरके के जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। ऐसे में अब कांग्रेस की सूची जारी होने तक किस सीट पर कौन चेहरा होगा इस पर संशय बना रहेगा।
प्रचार में जुटे विरोधी, कांग्रेस का मैदान खाली
भाजपा के उम्मीदवार पिछले करीब एक माह से चुनाव प्रचार करने में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री भी पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में विजय संकल्प रैलियां कर रहे हैं। पार्टी के दूसरे बड़े नेता भी अपने स्तर पर प्रचार कर रहे हैं। जजपा पांच और इनेलो अपने आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारकर चुनाव प्रचार में जुट चुकी हैं। जबकि आप के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही कांग्रेस के हिस्से की सभी नौ सीटों पर मैदान बिल्कुल खाली पड़ा है। आप उम्मीदवार सुशील गुप्ता कुरूक्षेत्र में मोर्चा संभाले हुए हैं।
कब क्या होगा
हरियाणा में 25 मई को होने वाले मतदान की अधिसूचना 29 अप्रैल को जारी होगी। 6 मई तक उम्मीदवार नामांकन कर सकेंगे तथा सात मई को छंटनी होगी। 9 मई तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। मतदान के लिए प्रदेश में 10 हजार 363 स्थानों पर 19 हजार 812 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। चार जून को मतों की गिनती होगी।