Shiv Temples in Haryana: महाशिवरात्रि आने वाली है। कई शिव भक्तों ने तो अपनी तैयारी भी शुरू कर दी होगी। कहा जाता है कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए हर साल फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि मनाई जाती है। वहीं इस साल 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। शिव भक्त इस दिन शिव और पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। साथ ही शिव मंदिरों में इस दिन काफी भीड़ भी देखने को मिलती है। ऐसे ही कुछ खास शिव मंदिर हरियाणा में भी स्थित है। इन मंदिरों का रहस्य और प्राचीन कथाएं शिव भक्तों को काफी आकर्षित करती है।
संगमेश्वर महादेव मंदिर
कुरुक्षेत्र के पिहोवा के अरुणाय गांव में संगमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यहां कि मान्यता है कि नाग देवता शिव भगवान के दर्शन के लिए हर साल आते हैं। यह स्थान अरुणा और सरस्वती नदी के संगम का स्थल है। पुराणों के अनुसार महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र ऋषि ने यहां तप भी किया था। कहा जाता है कि विश्वामित्र ने सरस्वती को खून से बहने का श्राप दिया था। इसके बाद महर्षि वशिष्ठ ने सरस्वती को यहां प्रकट हुए शिवलिंग की आराधना करने को कहा। सरस्वती ने यहां पर शिव की आराधना की तब शिव ने सरस्वती को श्राप से मुक्त कर फिर से जलधारा से भर दिया।
श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर
श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर कैथल में स्थित है। इस मंदिर के वजह से कैथल को छोटी काशी भी कहा जाता है। मंदिर का इतिहास महाभारत के युद्ध से जुड़ा है। मान्यता यह है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद श्री कृष्ण ने कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध में मारे गए सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए यहां 11 रुद्रों की स्थापना की थी। भगवान शिव ने इसी स्थान पर प्रसन्न होकर अर्जुन को दर्शन दिए थे।
आदिबद्री केदारनाथ
यमुनानगर से 47 किलोमीटर दूर आदिबद्री केदारनाथ मंदिर स्थित है। रणजीतपुर से आदिबद्री स्थित यज्ञशाला की दूरी तीन किमी है। रणजीतपुर से केदारनाथ मंदिर तक छह किलोमीटर का सफर है। इस मंदिर में स्वयंभू भगवान की शिवलिंग है। सोम नदी के दूसरे छोर पर यह मंदिर स्थापित है। यहां है कि 21 दिन पूजा करने से हर मनोकामना भगवान केदारनाथ पूरी करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी है।
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कालेश्वर महादेव मंदिर
कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर है। देशभर में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग बिना नंदी के स्थापित है। मान्यता है कि आकाश मार्ग से गुजर रहे लंकापति रावण का पुष्पक विमान कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर आते ही डगमगा गया था। बाद में रावण ने यहां शिव की पूजा की थी। भगवान शिव प्रसन्न होकर रावण को दर्शन दिए। तब रावण ने भगवान शिव से काल पर विजय का वरदान मांगा था और साथ ही इस मनोकामना का साक्षी कोई तीसरा न हो, ये भी कहा था। भगवान शिव ने इस दौरान नंदी महाराज को अपने से दूर किया था। इसलिए इसके बाद से ही यहां शिवलिंग बिना नंदी के स्थापित हैं।
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