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सीएम नायब सैनी की सरकार विस चुनावों से पहले कुछ सौगात प्रदेश के लोगों औऱ कर्मियों को दे सकती है। मंत्रिमंडल की वीरवार की बैठक दोपहर बाद होगी, जिसमें कर्मचारियों के लिए कुछ बड़े फैसले होने की संभावनाएं हैं।

Haryana: सीएम नायब सैनी की सरकार विस चुनावों से पहले कुछ सौगात प्रदेश के लोगों औऱ कर्मियों को दे सकती है। मंत्रिमंडल की वीरवार की बैठक दोपहर बाद होगी, जिसमें कर्मचारियों के लिए कुछ बड़े फैसले होने की संभावनाएं हैं। कर्मियों की रिटायरमेंट की आयु 58 से 60 वर्ष करने पर विचार चल रहा है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक में कर्मचारियों को तोहफा देने पर मंथन चल रहा है। सरकार नियमित कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु दो साल बढ़ाकर 60 साल करने पर मंथन में जुटी है। राज्य में स्वीकृत पदों के विपरीत लगाए कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की नीति पर भी मंत्रिमंडल की बैठक में मुहर लगाए जाने की संभावनाएं हैं।

कर्मचारियों को सौगात देने की तैयारी

उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों की दो प्रमुख मांगें हैं, जो लंबे समय से अधर में लटकी हुई हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के पास जो फीडबैक मिला है, उसमें सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा उम्मीदवारों को अपेक्षित संख्या में वोट नहीं दिए। बताते हैं कि बड़ी संख्या में कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने भाजपा उम्मीदवारों के विरुद्ध काम किया। कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने तथा उन्हें अपने पक्ष में लामबंद करते हुए पार्टी ने उनकी दो प्रमुख मांगें मानने का मन बनाया है। इन दोनों मांगों पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सचिवालय में दोपहर दो बजे से होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी।

हुड्डा सरकार ने रिटायमेंट की आयु 60 वर्ष कर दी थी

सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की आयु 58 से 60 साल करने का फैसला पिछली सरकार साल 2014 में जाते-जाते ले चुकी थी। यह फैसला लागू भी हो गया था, लेकिन भाजपा सरकार बनी तो हुड्डा सरकार के इस फैसले को पलट दिया गया, मगर इसे फिर से लागू किया जा सकता है। प्रदेश में करीब तीन लाख सरकारी कर्मचारी हैं, जो इस फैसले से लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन इससे सरकारी भर्तियों की रफ्तार थोड़ी ढीली पड़ेगी, क्योंकि कर्मचारियों की रिटायरमेंट देर से होगी तो भर्ती भी देरी से ही हो जाएगी।

सूबे में 1.25 लाख कर्मचारी कार्यरत

सूबे में करीब 1.25 लाख कच्चे कर्मचारी काम करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 10 अप्रैल 2006 में कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी केस में एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हीं कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जा सकता है, जिनकी भर्ती स्वीकृत नियमित पदों के विपरीत हुई हो, कच्ची भर्ती में नियुक्त कर्मचारी स्वीकृत पद की नौकरी के अनुसार योग्यता रखता हो तथा कच्ची भर्ती के लिए कोई असंवैधानिक तरीका न अपनाया गया हो। इस फैसले के बाद साल 2011 में पालिसी बनाकर तत्कालीन सरकार ने हरियाणा के करीब सात हजार कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर दिया था।

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