योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: हरियाणा में नए उपमंडलों (सब डिवीजन) और जिलों की आशा रखने वालों के लिए थोड़ी सी निराशा भरी खबर है। अब नए उपमंडल और जिले नहीं बन सकेंगे, नए साल में दो जनवरी से जनगणना की शुरुआत होने जा रही है। अब गांवों से लेकर उपमंडल, सब तहसील, तहसील जिला किसी की सीमा में कोई भी परिवर्तन नहीं हो सकेगा। इसके लिए नए साल में टीमों को मैदान में उतारने की तैयारी है। इसके लिए जनगणना विभाग की ओर से सभी राज्यों को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। हरियाणा में निदेशक जनगणना ने भी तैयारी कर ली है।
विधानसभा के पहले ही सत्र में उठी आवाज
हरियाणा विधानसभा में पहले सत्र के दौरान नए उपमंडल बनाने के साथ ही नए जिलों की मांग भी लगातार की जा रही है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले भी यह मांग कई जिलों से जोरदार तरीके से उठाई जा रही थी। जहां हांसी के विधायक भ्याना हांसी को जिला बनाने की मांग के साथ में खड़े हैं, वहीं उन्होंने इस बारे में पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर व वर्तमान सीएम से भी चर्चा की। कई कस्बों को उपमंडल बनाए जाने की मांग लगातार उन इलाकों के लोग करने में लगे है। कुल मिलाकर जनगणना अभियान की शुरुआत जनवरी से शुरु होने के कारण अब सारा कुछ फ्रिज होने जा रहा है।
परिसीमन को लेकर भी चल रही तैयारी
विभिन्न राज्यों में परिसीमन को लेकर भी तैयारी चल रही है। यह भी तय है कि राज्य के अंदर अगले विधानसभा औऱ लोकसभा चुनावों से पहले परिसीमन किया जाएगा। परिसीमन के बाद राज्य के अंदर दस लोकसभा की सीटें बढ़कर 14 तक जा सकती हैं। वहीं राज्य में 90 विधानसभा की सीटें हैं, इन सीटों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। विस की सीटें 122 से लेकर 126 तक जा सकती हैं।
नई विधानसभा का भवन इसलिए भी जरूरी
हरियाणा चंडीगढ़ में जमीन का इंतजाम भी इसलिए करने में जुटा है, ताकि सदस्यों की संख्या बढ़ जाने के कारण बैठने के लिए भी जगह चाहिए, जो वर्तमान हरियाणा की विस में नहीं हैं। इस तरह से नए स्थान पर नया भवन तैयार करने में भी वक्त लगेगा और विधायकों की संख्या 90 से बढ़कर 122 और 126 तक चली जाएगी, जिसके कारण नए भवन में ही इनकी व्यवस्था हो सकेगी।
सियासी दलों की नजरें अभी से टिकी
सियासी दलों में सत्ताधारी भाजपा परिसीमन और जनगणना दोनों पर नजरें टिकाए हुए है। सियासी दलों ने सूबे के गांवों, कस्बों और शहरों पर रिसर्च की शुरुआत कर दी है। खासतौर पर भाजपा द्वारा जहां जहां पर भाजपा को सफलता नहीं मिल रही और सीटें हाथ से निकल गई, वहां पर अभी से जमीनी कामकाज की शुरुआत कर दी है। पिछले चुनावों का ब्योरा भाजपा की टीम निकालने में जुटी हुई है। यहां पर याद रहे कि अब से पहले परिसीमन का काम वर्ष 2007-2008 में हुआ था। उस दौरान सत्ता में पूर्व सीएम हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। उस दौरान भी हिसार, सिरसा, अहिरवाल बेल्ट के साथ उत्तरी हरियाणा के कई जिलों और सीटों में बड़े बदलाव हुए थे।
आरक्षित सीटों में भी बदलाव की संभावनाएं
प्रदेश में लोकसभा की अंबाला और सिरसा सीटें फिलहाल रिजर्व हैं, आने वाले वक्त में इन सीटों में बदलाव हो सकता है। अर्थात दोनों सीटों को सामान्य कर दूसरी अन्य दो सीटों को रिजर्व किया जा सकता है। इसी तरह से राज्य में विधानसभा की जो सीटें फिलहाल एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन सीटों के स्थान पर नई सीटों को आरक्षित करने की संभावनाएं हैं।