Yogesh Kathunia: हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले योगेश कथुनिया ने व्हीलचेयर पर बैठकर भी पेरिस पैरालंपिक खेलों के डिस्कस थ्रो इवेंट में सोमवार को रजत पदक हासिल किया है। उन्होंने पैरालंपिक खेलों के डिस्कस थ्रो इवेंट में लगातार दूसरी बार रजत पदक जीता है। इससे पहले योगेश ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में भी सिल्वर पदक हासिल किया था। योगेश ने पेरिस में 42.22 मीटर दूरी के साथ सिल्वर मेडल जीता था।
मां ने जताई खुशी
योगेश की माता मीना देवी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि योगेश ने अपने सिल्वर मेडल का रंग बदलने का वादा किया था, लेकिन उनका बेटा व्हीलचेयर पर बैठकर भी सिल्वर मेडल हासिल कर रहा है और इससे भी मुझे संतोष है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि मेरा बेटा एक दिन पैरालंपिक गेम्स में स्वर्ण पदक जरूर हासिल करेगा।
डेढ़ साल से घर नहीं आया भाई- बहन पूजा
पिता कैप्टन ज्ञानचंद को भी अपने बेटे पर नाज है। योगेश की बहन पूजा का कहना है कि योगेश बहुत मेहनती है और सीधे-साधे स्वभाव का है। वह सरल तरीके से अपना जीवन जी रहा है और खेलों में उसे हिस्सा लेना बेहद पसंद है। अभ्यास के चलते योगेश एक से डेढ़ साल से घर नहीं आया है। पूजा का कहना है कि जब भाई घर लौटेगा तो उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 9 सितंबर को योगेश दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने वाले हैं। यहां से उनका स्वागत शुरू होगा और बहादुरगढ़ में भी परिवार वाले उनका रोड शो निकालेंगे।
#WATCH | Jhajjar, Haryana: Para-athlete Yogesh Kathuniya's sister Pooja says, "He has won a silver medal. We are very happy. We had been waiting for his match. And today he has won a silver medal, we are very proud..." pic.twitter.com/992jYMeSpv
— ANI (@ANI) September 2, 2024
योगेश का संघर्ष
योगेश के माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बने, क्योंकि योगेश पढ़ाई में अव्वल थे और उनका झुकाव भी मेडिकल फील्ड की ओर था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, जिसने उनके जीवन का रास्ता बदल दिया। लगभग 9 साल की उम्र में जब वह एक सामान्य दिन की तरह पार्क में खेल रहे थे, तो उसी दौरान एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
योगेश अचानक ही खेलते हुए गिर गए और फिर कभी खड़े नहीं हो पाए। डॉक्टरों की जांच में सामने आया कि योगेश को गुलियन-बैरे सिंड्रोम है, एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जिसने उनके शरीर को लकवाग्रस्त कर दिया। योगेश के माता-पिता के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी।
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इसके बाद भी योगेश ने अपने जीवन में हार नहीं मानी और कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने जीवन को दिशा दी। उन्होंने खेल की दुनिया में कदम रखा और किरोड़ीमल कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद, योगेश की मुलाकात पैरा एथलीटों से हुई। उन्हीं में से एक थे एशियाई पदक विजेता नीरज यादव, जिन्होंने योगेश को खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। योगेश ने कोच सत्यपाल और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच नवल सिंह के साथ जेएलएन स्टेडियम में भी प्रशिक्षण लिया। आज उन्होंने देश को राष्ट्रीय स्तर पर पदक दिलाया है।