Mohan Bhardwaj, Political Family News। देवीलाल के एक फैसले से महज 10 लोकसभा सीटों वाला हरियाणा 1989 में देश की राजनीति की धूरी बन गया था। विपक्ष को एकजुट कर कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से खदेड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले देवीलाल को सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया था। देवीलाल ने प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर राजनीति में अपने कद को और अधिक ऊंचा कर लिया था। 2005 तक ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को हरियाणा में बखूबी आगे बढ़ाया। 2014 के चुनाव से पहले ओमप्रकाश चौटाला व अजय चौटाला के जेल जाने के बाद देवीलाल की राजनीतिक विरासत को लगे झटके ने 2019 के चुनाव से पहले ओपी चौटाला परिवार में हुई टूट से लगे डेंट से परिवार अब तक उभर नहीं पाया है। 2024 के चुनाव में कांग्रेस की तरफ खींचने में सफल रहे देवीलाल के वोट बैंक पर अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह  हुड्डा की नजर है। 

दुष्यंत को दिखाया सपना भी बिखरा

2019 में जजपा 10 विधानसभा सीट जीतकर मनोहर सरकार में सांझीदार बनी। करीब साढ़े चार मनोहर सरकार में डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत चौटाला ने देवीलाल परिवार की सियासत को आगे बढ़ाने का जो सपना दिखाया था। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में शीशे की तरह टूटकर बिखर गया। एक दूसरे को टक्कर देने के लिए 9 लोकसभा सीटों पर आमने सामने आया देवीलाल परिवार महज 2.61 प्रतिशत वोट ही हासिल कर पाया। जिसमें अजय की पार्टी जजपा का 0.87 और अभय की पार्टी इनेलो का 1.74 प्रतिशत हिस्सा रहा। यह स्थिति तब रही जब देवीलाल की दो पौत्रवधू, एक पुत्र व पौत्र न केवल खुद चुनाव मैदान में थे, बल्कि हिसार लोकसभा सीट पर देवीलाल की दोनों पौत्रवधू अपने चाचा ससुर को सीधी टक्कर दे रही थी।

2019 के विधानसभा चुनाव तक बंटवारे के बावजूद अभय व अजय की पार्टी के साथ खड़ा रहा देवीलाल का परंपरागत वोट 2024 के लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से भूपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया। चार माह बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में हुड्डा एक बार फिर ऐसे ही देवीलाल के परंपरागत वोट को अपनी तरफ खींचने में सफल रहे तो प्रदेश में देवीलाल की राजनीतिक विरासत पूरी तरह से होशिए पर चली जाएगी। जिसे अपने पक्ष में लाने के लिए भूपेंद्र हुड्डा नजर लगाए बैठे हैं।

देवीलाल 1989 से 1991 तक उपप्रधानमंत्री रहे 

केंद्रीय कैबिनेट में तो अब तक हरियाणा के कई नेताओं को जगह मिली तथा 2019 में दोबारा सत्ता में आई मोदी कैबिनेट में भी हरियाणा के तीन चेहरों को जगह मिली थी। अक्टूबर 1989 से जून 1991 तक दो बार देश के उपप्रधानमंत्री बनने वाले देवीलाल एकलौते नेता रहे। इससे पहले देवीलाल जून 1977 से जुलाई 1979 व जुलाई 1987 से सितंबर 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे। देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 

राजनीति में सक्रिय चार बेटों का परिवार

देवीलाल के चार बेटे या उनका परिवार राजनीति में सक्रिय रहा है। ओमप्रकाश चौटाला, रणजीत चौटाला, जगदीश चौटाला व प्रताप चौटाला का परिवार राजनीति में सक्रिय है। देवीलाल के राजनीतिक वारिस बने ओमप्रकाश चौटाला पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2019 में ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में हुई टूट के बाद अजय जजपा व अभय इनेलो को संभाल रहे हैं। दोनों बेटों के अलावा उनकी पौत्रवधू नैना, परपौत्र, दुष्यंत, दिग्विजय, करण चौटाला भी सक्रिय राजनीति में कदम रख चुके हैं।

2024 में हिसार से भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े रणजीत चौटाला शुरू से ही ओमप्रकाश चौटाला से अलग राजनीति करते रहे हैं तथा कांग्रेस व भाजपा सरकार में मंत्री रहे। जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य देवीलाल व प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला के साथ उनकी पत्नी सुनैना हिसार से लोकसभा चुनाव लड़कर सक्रिय राजनीति में कदम रख चुकी हैं।