योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: विधानसभा चुनावों में हार के बाद नेता विपक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान व बदलाव की चर्चा के  बीच अब अचानक ही बदलते घटनाक्रम में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का अचानक ही सांसद व वरिष्ठ नेत्री सैलजा के साथ मंच साझा करना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। अहम बात यह है कि सांसद दीपेंद्र हुड्डा और नेता विपक्ष पूर्व सीएम का हाथ थामकर सियासत में आए दोनों ही खिलाड़ियों को गत दिवस ही सैलजा और चौधरी बीरेंद्र सिंह के साथ में मंच साझा करते हुए देखा जा रहा है।

सियासी गलियारों में चल रही चर्चाएं

सियासी गलियारों में चर्चा चल रही है कि किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह दोनों खिलाड़ियों ने या तो पाला बदल लिया है या फिर से दोनों गुटों में सुलह कराने की पहल करने जा रहे हैं। हरियाणा का दंगल जीती विनेश फोगाट और बजरंग ने पाला बदला अथवा नहीं, इस पर उन्होंने खुलकर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन हुड्डा गुट से होने के बाद भी सैलजा की तरफ अचानक ही कैसे चले आए, इस पर सियासी बहस छिड़ी हुई है। फोगाट और पुनिया दोनों गुटों में सुलह की पहल करेंगे या फिर दोनों ने सियासी खिलाड़ी बनते हुए पाला बदल लिया है? इस तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में दिख रहा उलटफेर

उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में उलटफेर देखने को मिल रहा है।  हुड्डा गुट खासतौर पर सांसद दीपेंद्र व उनके पिता के भूपेंद्र हुड्डा के जरिए कांग्रेस में आने वाले पहलवान विनेश और बजरंग पुनिया सैलजा के साथ नजर आने लगे हैं। हरियाणा की सियासत में दोनों का सैलजा गुट के साथ में मंच साझा करना चर्चा का विषय बन गया है। 22 अक्टूबर को कांग्रेस मुख्यालय पर पहुंचकर बजरंग पुनिया ने किसान कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा संभाल लिया है। इस दौरान सैलजा उनके साथ नजर आई और सैलजा बजरंग के साथ विनेश भी मौजूद थी।

सैलजा व हुड्डा गुट में चल रही खींचतान

हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा व सैलजा गुट में खींचतान चल रही है। एक गुट के नेता दूसरे गुट के नेता के साथ फोटो खिंचवाने और मंच साझा करने से गुरेज करते रहे हैं। इतना ही नहीं, हुड्डा, सैलजा, सुरजेवाला जैसे नेताओं को बहुत ही कम मौकों पर एक साथ देखा गया है। यहां तक कि कांग्रेस को बाय बाय कर भाजपा ज्वाइन कर चुकी किरण चौधरी भी अक्सर हुड्डा गुट के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखती थी। अब ताजा मामला बजरंग और विनेश फोगाट का चर्चा बन गया है, इसे इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि हाल के विधानसभा चुनाव के दौरान विनेश फोगाट के पोस्टर पर सैलजा नजर नहीं आई थी। ना ही सैलजा ने फोगाट के लिए कोई रैली और प्रचार की मुहिम में हिस्सा लिया था।

बदल लिया पाला या कुछ अन्य कूटनीतिक कदम

सवाल उठ खड़े रहे हैं कि क्या बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने पाला बदल लिया या सैलजा के जरिए कांग्रेस कोई सियासत साध रही है? विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी गुटबाजी की वजह से हार चुकी है। जीती हुई बाजी हाथ से निकल जाने के बाद से कांग्रेस में हाईकमान के नेतागण सबकुछ ठीक करने की कवायद में लगे हुए हैं। कहा जा रहा है कि सैलजा की वहां मौजूदगी इसलिए भी दर्शाई गई हो, क्योंकि फोगाट और पुनिया एक बड़े स्टार हैं। हुड्डा-सैलजा गुट के बीच जमी बर्फ को कांग्रेस उनके जरिए पिघलाने की कोशिशों में जुटी हो। दोनों गुट की खींचतान और शक्ति प्रदर्शन के कारण हरियाणा में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन सकी है।

पर्यवेक्षक की रिपोर्ट पर सामने नहीं आया फैसला

कांग्रेस हाईकमान की ओऱ से भेजे गए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को लेकर भी फाइनल फैसला सामने नहीं आया है। हुड्डा अपने गुट के लोगों को ही कुर्सी दिलाने में जुटे हैं, तो सैलजा की कोशिश चंद्रमोहन बिश्नोई को नेता प्रतिपक्ष बनाने की है। हरियाणा की स्थानीय राजनीति में भले ही भूपेंद्र हुड्डा मजबूत स्थिति में हो, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में सैलजा-सुरजेवाला गुट काफी मजबूत है। सुरजेवाला कांग्रेस के महासचिव और कर्नाटक प्रभारी हैं। कर्नाटक में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है। वहीं सैलजा कांग्रेस महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी हैं। सैलजा छत्तीसगढ़ की प्रभारी रह चुकी हैं और सैलजा व सुरजेवाला दोनों ही कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं।

बजरंग पुनिया क्या करने की जुगत में जुटे

बजरंग पुनिया को कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कहा जा रहा है कि बजरंग पुनिया राष्ट्रीय राजनीति को साधने के लिए सैलजा से सामंजस्य बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। वैसे, अभी तक पूनिया और फोगाट के सोशल मीडिया हैंडल से सैलजा को फॉलो नहीं किया गया है। दोनों के सोशल मीडिया हैंडल से हुड्डा समेत उनके गुट के नेता को फॉलो किया जा रहा है। यहां पर बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया कांग्रेस में आए थे। विनेश को कांग्रेस ने जींद की जुलाना से उम्मीदवार बनाया, जबकि पुनिया कांग्रेस किसान सेल में चले गए।