रोहतक। शहर थाना पुलिस के जांच अधिकारी ने हमले के एक मामले में 23 मई, 2023 को भादसा की धारा 323/324/506/308 के तहत केस दर्ज किया। 13 जून 2023 को एसीजेएम कोर्ट ने बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हुए पुलिस द्वारा लगाई गई धारा 308 पर सवाल उठाए तथा डॉक्टर की राय लेने के आदेश दिए थे। चुनौती देने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने भी नीचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था। जिस पुलिस ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने नीचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। जिससे फैसला आने तक पुलिस को डॉक्टर की राय के बिना धारा 308 लगाने का अधिकार मिल गया है।
क्या है भादंसा की धारा 308
एसपी हिमांशु गर्ग ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 308 में कहा गया है कि यदि कोई इस इरादे या ज्ञान के साथ कोई कार्य करता है कि, यदि इससे मृत्यु हुई, तो इसे गैर इरादतन हत्या माना जाएगा। उन्हें तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकती हैं। यदि इस कृत्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुँचती है, तो इसमें सात साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकती है। पुलिस द्वारा धारा 308 भादसा के तहत कई मामलें दर्ज किए गए हैं। हत्या प्रयास में प्रयोग होने वाली 307 में 10 साल की कैद व जुर्माने का प्रावधान है।
ऐसे चला घटनाक्रम
शहर थाना ने 23 मई 2023 को भादसा की धारा 323/324/506/308 के तहत मामला दर्ज किया। 20 दिन बाद 13 जून को मामले में बेल पर सुनवाई करते हुए एसीजेएम कोर्ट ने पुलिस को धारा 308 का प्रयोग करने के लिए डॉक्टर से राय लेने के आदेश दिए थे। पुलिस ने सीआरआर 70/2023 के तहत जिला अदालत में अपील की। जिला एवं सत्र न्यायालय ने 5 सितंबर 2023 को अपील खारिज कर एसीजेएम के आदेशों पर अपनी मोहर लगा दी। जिसे पुलिस ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करने के बाद एसीजेएम कोर्ट एसीजेएम के आदेश पर रोक लगा दी। ऐसे में अब पुलिस को इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला आने तक डॉक्टर की सलाह के बिना भी धारा 308 लगाने की पॉवर मिल गई है।