Prithviraj Chauhan Fort: हरियाणा का हांसी जिले ऐतिहासिक रूप से सबसे समृद्ध नगरों में शामिल है। राजपूत और मुगल साम्राज्य की कई ऐतिहासिक निशानियां आज भी इस शहर में देखी जा सकती हैं। यहां की सबसे प्रमुख धरोहरों में शुमार है पृथ्वीराज चौहान का सदियों पुराना विशाल किला आज भी काफी प्रसिद्ध है।

आज के समय में पृथ्वीराज चौहान का यह किला पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित इमारतों की फेहरिस्त में है। शहर के बीचोबीच स्थित लगभग  30 एकड़ में फैले इल विशाल किले पर राजपूतों से लेकर मुगल और बाद में अंग्रेजों ने राज किया था। कहा जाता है कि इस किले के निर्माण की  तारीख को लेकर इतिहासकारों में भी मतभेद है। माना जाता है कि इस ऐतिहासिक किले का निर्माण 1191 में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के पहले युद्ध में फतह हासिल करने के बाद किया था।

कहा जाता था हिंदुस्तान की दहलीज  

इस किले में सैनिक छावनी बनाई गई थी। उस दौर में किले के सामरिक महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे जीतने के लिए ख्वाजा हाशिम उद्दीन, ख्वाजा असमान और रहमान से लेकर कई मुगल शासकों ने हमले किए। एक समय पर इसे हिंदुस्तान की दहलीज भी कहा जाता था। कहा जाता था कि जो भी हमलावर हांसी की दहलीज को लांघ लेगा वही हिंदुस्तान पर शासन करेगा। इस किले के विशाल गेट को बड़सी गेट के नाम से जाना जाता है, जे बाजार के बीचोबीच स्थित है इस दरवाजे के नीचे से लोग आज भी गुजरते हैं।

पृथ्वीराज चौहान का किला

2004 में हुई थी खुदाई

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 2004 में ऐतिहासिक किले के इतिहास से वाकिफ होने के लिए खुदाई करवाई यी। इस खुदाई का काम कई महीनों तक चला। इसमें बुद्ध, कुषाण, गुप्त, वेदतर, यौद्धेय, राजपूत, सल्तनत, मुगल और अंग्रेजी काल से संबंधित अनेक अवशेष निकले। इन अवशेषों में ईंट, सिक्के, सिक्के बनाने के सांचे, धार्मिक स्थलों के अवशेष, मूर्तियां, पुराने मिट्टी के बर्तन, मकानों के अवशेष समेत काफी निशानियां मिलीं।

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1982 में जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां कुक्कू शोरगर नाम के व्यक्ति को किले में खुदाई करते वक्त मिली थी। इन्हें शहर के जैन मंदिर में रखवाया गया। इस खुदाई से ये स्पष्ट हुआ कि हांसी शहर सदियों पुराने इतिहास का गवाह रह चुका है।