राम रहीम को हाईकोर्ट से नहीं राहत: फरलो की अर्जी पर बिना कोई राहत टली सुनवाई, अर्जी पर उसके साथ होगी सुनवाई

Ram Rahim.
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राम रहीम। 
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने राम रहीम की तुरंत फरलो पर रिहाई देने वाली याचिका पर तत्काल किसी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया और 8 अगस्त तक सुनवाई को स्थगित कर दिया।

Haryana: तुरंत फरलो पर रिहाई की मांग को लेकर दाखिल राम रहीम की अर्जी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे तत्काल कोई राहत देने से इनकार करते हुए सुनवाई को 8 अगस्त तक स्थगित कर दिया। राम रहीम ने अर्जी दाखिल करते हुए हाईकोर्ट से 21 दिन की फरलो देने के निर्देश जारी करने की मांग की है। अर्जी में उसने कहा कि यह फरलो कल्याणकारी कार्यों के लिए चाहिए। याची ने फरलो के लिए हरियाणा सरकार को आवेदन किया था लेकिन हाईकोर्ट के 29 फरवरी के आदेश के चलते उसे यह लाभ नहीं मिल सका। हाईकोर्ट ने उस आदेश के तहत सरकार को बिना अदालत की मंजूरी के याची को पैरोल देने पर रोक लगा दी थी।

हरियाणा सरकार 89 कैदियों को दे चुकी पैरोल

याची ने कहा कि राम रहीम के नेतृत्व में डेरे में कई कल्याणकारी कार्य किए जाते हैं जिनमें गरीब लड़कियों की शादियां, वृक्षारोपण आदि शामिल हैं। हरियाणा सरकार 89 ऐसे अन्य कैदियों को पैरोल दे चुकी है जो तीन या इससे अधिक मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हाईकोर्ट भी सात अप्रैल, 2022 के आदेश में स्पष्ट कर चुका है कि याची कट्टर अपराधी की परिभाषा में नहीं आता। हरियाणा गुड कंडक्ट ऑफ प्रिजनर एक्ट के तहत हर साल कैदियों को 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का प्रावधान है। याची ने अभी तक मिली पैरोल या फरलो का दुरुपयोग नहीं किया और ऐसे में वह फरलो का हकदार है। याची की 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो पहले से ही अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है।

यह है पूरा मामला

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने याचिका दाखिल करते हुए डेरा प्रमुख को दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी होने के बावजूद हरियाणा सरकार द्वारा बार-बार पैरोल या फरलो पर रिहा करने पर आपत्ति जताई थी। 22 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि अदालत की अनुमति के बिना राम रहीम को अब पैरोल नहीं दी जाएगी। डेरा प्रमुख ने अवकाशकालीन बेंच के सामने 14 जून को अर्जी दायर की थी, लेकिन अवकाशकालीन बेंच ने कोई आदेश जारी न करते हुए कहा कि चीफ जस्टिस की बेंच ही इस अर्जी पर सुनवाई करेगी, क्योंकि उसी बेंच के समक्ष एसजीपीसी की याचिका विचाराधीन है।

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