Rewari: ईंटों की कमी और महंगे दामों का सामना कर रहे भवन निर्माण करने वाले लोगों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। एनजीटी के आदेशानुसार 9 माह बाद शुक्रवार से जिले में ईंट भट्ठों का संचालन शुरू हो गया है। अब निर्माण करने वाले लोगों को नई ईंटें जल्द मिलना शुरू हो जाएंगी। उत्पादन शुरू होने के बाद ईंटों के दाम में भी कमी आने की संभावना रहेगी। दूसरी ओर भट्ठे शुरू होने के साथ की प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से बढ़ने की आशंका बनी रहेगी। एनसीआर में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने काफी समय से ईंट भट्ठों का संचालन सीमित किया हुआ है। इन्हें चलाने के लिए साल में चार माह की छूट दी जाती है।
साल में चार माह के लिए ही चलते हैं भट्ठे
एक मार्च से 30 जून तक ईंट भट्ठों का संचालन किया जाता है। इस अवधि में भट्ठा संचालक अधिक से अधिक ईंटों का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं, ताकि भट्ठों पर रोक लगाने के बाद ईंटों की सप्लाई लंबे समय तक सुचारू रह सके। इसके बावजूद भट्ठे बंद होने के कुछ समय बाद ही ईंटों की कमी शुरू हो जाती है। इसका फायदा उठाते हुए भट्ठा संचालक ईंटों के दाम बढ़ा देते हैं। निर्माण करने वाले लोगों के लिए महंगी ईंटें खरीदना मजबूरी बन जाता है। जिले में इस समय 90 से अधिक ईंट भट्ठों को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से लाइसेंस जारी किए हुए हैं। मार्च माह से पहले ही अधिकांश भट्ठों पर ईंटों का स्टॉक खत्म हो जाता है। दोयम दर्जे की ईंटों के दाम भी बढ़ जाते हैं। इस समय जिन भट्ठों पर स्टॉक बचा हुआ है, उनके दाम भट्ठों पर 6200 रुपए से 7000 रुपए प्रति हजार ईंट तक वसूले जा रहे हैं। यह दाम अपेक्षाकृत काफी अधिक हैं। ईंट भट्ठों का संचालन शुरू हो गया है। नई ईंटों को तैयार होने में लगभग 15 दिन का समय लगता है। ऐसे में होली पर्व के आसपास नई ईंटों के दाम 500 से 700 रुपए प्रति हजार तक कम हो सकते हैं।
कच्ची ईंटें बनकर हो चुकी तैयार
भट्ठा मालिकों ने फरवरी माह के शुरू में ही कच्ची ईंटें तैयार कराना शुरू कर दिया था। भट्ठों का संचालन शुरू होने से पहले कच्ची ईंटें तैयार की जाती हैं। हालांकि भारी बरसात से कच्ची ईंटों के खराब होने की आशंका बनी रहती है, लेकिन इस बार तेज बरसात नहीं हुई है। ईंट थपाई का कार्य शुरू होने से लेबर को भी काम मिल गया है। भट्ठे बंद होने के बाद बाहर से आने वाली लेबर घर लौट जाती है। लेबर की वाससी से सूने पड़े भट्ठों पर रौनक दिखाई देने लगी है।
सरकारी कार्य भी हो रहे बाधित
जिला प्रशासन की ओर से ईंट भट्ठा मालिकों को पंचायत व दूसरे विकासकार्यों के लिए ईंटें रिजर्व रखने के आदेश जारी किए जाते हैं। ईंटों का स्टॉक खत्म होते ही अधिकांश भट्ठा मालिक प्रथम श्रेणी की ईंटों की भी बिक्री कर देते हैं। इसके बाद सरकारी निर्माणकार्यों में दोयम दर्जे की ईंटों का इस्तेमाल भी जमकर होता है। ईटों की सप्लाई बाधित होने के कारण कई गांवों में विकासकार्य अटके हुए हैं। सप्लाई शुरू होने के साथ ही यह कार्य अब शुरू होने वाले हैं।
एक्यूआई बढ़ने की पूरी आशंका
उद्योगों के प्रदूषण पर अंकुश लगने के कारण इस बार प्रदूषण का स्तर काफी नियंत्रण में है। इस साल एक्यूआई 200 से नीचे बना रहा है, जिसे संतोषजनक माना जाता है। एक-दो बार ही एक्यूआई 300 के आसपास पहुंचा था। ईंट भट्ठों से निकलने वाला धुआं एक्यूआई बढ़ाने का काम करता है। भट्ठे शुरू होने के कारण एक्यूआई एक बार फिर से बढ़ने की आशंका बनी रहेगी। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की नजरें धुआं फैलाने वाले भ भट्ठों पर टिकी रहेंगी।
मानकों का रखना होगा ध्यान
एचएसपीसीबी के आरओ हरीश कुमार ने बताया कि ईंट भट्ठों का संचालन मार्च से शुरू हो गया है। भट्ठा मालिकों को प्रदूषण के मानकों की पालना करनी होगी। मानकों पर खरा नहीं उतरने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।