Rewari: बीमा धारक की मृत्यु होने के बाद बीमा कंपनी की ओर से हाउसिंग लोन की बकाया राशि अदा न करने पर जिला उपभोक्ता आयोग ने कंपनी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माना राशि के साथ ही फाइनेंस कंपनी को बीमा कंपनी के बकाया लोन की राशि 10 लाख रुपए की अदायगी भी करनी होगी। अगर बीमा कंपनी ने ऐसा नहीं किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने फैसले में बीमा कंपनी को आदेश दिए हैं कि फाइनेंस कंपनी बीमा धारक की मृत्यु के बाद भी बकाया राशि अदा करेगी।

धारूहेड़ा निवासी सुगमा के पति ने लिया था लोन 

धारूहेड़ा के आजाद नगर निवासी सुगना देवी के पति ने अपने जीवन काल में आवास फाइनेंशियल लिमिटेड कंपनी से मकान के लिए 28 अप्रैल 2022 को 10 लाख रुपए का लोन लिया था। इस लोन को भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की ओर से इंश्योर्ड कराया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से तय किया कि यदि बीमा धारक की मृत्यु हो जाती है,तो उस स्थिति में लोन की बकाया राशि की अदायगी बीमा कंपनी की ओर से की जाएगी। लोन की अदायगी नियमित रूप से की जा रही थी, लेकिन दुर्भाग्यवश 14 अप्रैल 2023 को सुगना देवी के पति भंवर सिंह की मृत्यु हो गई। इसके पश्चात सुगना देवी ने बीमा कंपनी को सूचित कर दिया कि बकाया लोन की राशि फाइनेंस कंपनी को बीमा कंपनी की ओर से दी जानी है, जिसके लिए जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी की गई, लेकिन बीमा कंपनी ने यह क्लेम रद्द कर दिया।

बीमा कंपनी ने क्लेम रद्द किया तो कंज्यूमर कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

बीमा कंपनी की ओर से क्लेम रद्द करने पर शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता राजवंत डहीनवाल की सहायता से जिला उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की, जिस पर कार्रवाई करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष संजय कुमार खंडूजा एवं सदस्य राजेंद्र प्रसाद ने अपने फैसले में स्पष्ट लिखा कि भंवर सिंह की मृत्यु शरीर के कई अंग काम न करने की वजह से हुई है। इस बारे में मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया है, इसलिए डायबिटीज की वजह से मौत होने की कहना बिल्कुल उचित नहीं है। उन्होंने आदेश में कहा कि बीमा कंपनी क्लेम देने से नहीं बच सकती। बीमा कंपनी फाइनेंस कंपनी को लोन की बकाया राशि अदा करेगी और जो लोन की अतिरिक्त राशि आवेदनकर्ता की मृत्यु के बाद वसूली गई है, वह भी वापस करनी होगी। उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी पर 50 हजार का मुआवजा देने के आदेश दिए। साथ ही 11 हजार रुपए वाद खर्च के रूप में शिकायतकर्ता को देने के आदेश दिए।