Rewari: उद्योगों से होने वाले वायु और जल प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए एनजीटी गंभीरता से कदम उठा रही है। एनजीटी के आदेश पर हरियाणा राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने उद्योगों में प्रदूषण की जांच के लिए 9 टीमें मैदान में उतारी हुई हैं। इन टीमों को अगले सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट देनी है। रिपोर्ट और सैंपलिंग के आधार पर प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ बोर्ड की तरफ से एक्शन लिया जाएगा।
बावल, धारूहेड़ा व रेवाड़ी में 1800 औद्योगिक इकाइयां
बावल, धारूहेड़ा और रेवाड़ी में लगभग 1800 औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें ज्यादा बावल आईएमटी में हैं, जबकि रेवाड़ी में इनकी संख्या सबसे कम है। कई इकाइयां प्रदूषण मानकों पर खरा नहीं उतरती। बावल क्षेत्र में जल और वायु दोनों तरह का प्रदूषण ज्यादा रहता है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सख्ती के चलते बड़ी इकाइयां पानी को ट्रीट करने के बाद ही बाहर भेज रही हैं, परंतु कुछ इकाइयों में पानी ट्रीट किए बिना ही बाहर भेजा जाता है। इससे जल प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। डीजल से चलने वाले जनरेटर सेटों पर गत वर्ष ही प्रतिबंद्ध लगाया गया था। इसके बावजूद चोरी से डीजल चलित जनरेटरों के इस्तेमाल की संभावना बनी रहती है। इनकी जगह एनजीटी की ओर से सीएनजी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया था।
मशीनों व ट्रीटमेंट पर टीमों की नजर
एचएसपीसीबी की ओर से 9 टीमों को पहले बावल और धारूहेड़ा में उद्योगों का निरीक्षण करने के लिए मैदान में उताया गया। यह टीमें औद्योगिक इकाइयों का गहनता से सर्वेक्षण करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। निरीक्षण के दौरान यह देखा जा रहा है कि यूनिट कहीं प्रदूषण को बढ़ावा देने का काम तो नहीं कर रही। सूत्रों के अनुसार अभी तक 70 फीसदी यूनिटों को चेक किया जा चुका है। सभी यूनिटों को चेक करने के बाद यह टीमें अपनी फाइनल रिपोर्ट आरओ को सौंपेंगी।
उद्योगों के कारण बढ़ रहा प्रदूषण
कई उद्योगों में प्रदूषण के मानकों की परवाह नहीं की जाती। ऐसे उद्योगों की चिमनियों से घना धुआं निकलना नजर आता है, जो हवा में प्रदूषण फैलाने का काम करता है। इस बार सर्दी के मौसम में प्रदूषण की समस्या ज्यादा गंभीर नहीं हुई है। धारूहेड़ा का एक्यूआई 300 से नीचे चल रहा है। गत वर्ष जनवरी माह में यह 400 के पार पहुंच गया था। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सख्ती और प्रदूषण में कमी लाने के उपाय कारगर साबित हो रहे हैं।
रिपोर्ट आने के बाद होगा एक्शन
एचएसपीसीबी के आरओ हरीश कुमार ने बताया कि सभी टीमें नियमित रूप से इंस्पेक्शन का कार्य कर रही हैं। सैंपलिंग का कार्य भी साथ-साथ किया जा रहा है। सैंपलिंग की जांच व टीमों की रिपोर्ट के बाद प्रदूषण फैलाने वाली यूनिटों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। अधिक प्रदूषण फैलाने वाली यूनिटों को सील भी किया जा सकता है।