Haryana: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के तिलहन वैज्ञानिकों ने हाल ही में सरसों की दो नई किस्में आरएच-1424 और आरएच-1706 विकसित की हैं। इसके अतिरिक्त, गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यूएच-1402 भी विकसित की गई है, जो दो सिंचाई और मध्यम उर्वरकों में अधिक उपज देती है। मुख्य सचिव विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड की 275वीं बैठक में भाग ले रहे थे। उन्होंने बताया कि ये किस्में उच्च उपज देने वाली और तेल सामग्री से भरपूर होंगी। ये किस्में देश के सरसों उत्पादक राज्यों में तिलहन उत्पादकता बढ़ाने में भी सहायक होंगी। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, जम्मू और उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुआई के लिए सरसों की एक और उन्नत किस्म आरएच-1975 भी विकसित की है।

एचएयू ने विकसित की गेहूं की नई किस्म 

संजीव कौशल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यूएच-1402 विकसित की है, जो दो सिंचाई और मध्यम उर्वरक में अधिक उपज देती है। इस किस्म की पहचान भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों के लिए की गई है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू और कश्मीर शामिल हैं। इस किस्म की औसत उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज मात्र दो सिंचाई में 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है। इस 1402 किस्म को राष्ट्रीय स्तर पर रेतीले, कम उपजाऊ तथा कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। विश्वविद्यालय ने पिछले 3 वर्षों में 44 किस्मों का विकास और पहचान की है।

मिलेट्स व जैव अपघटन में बेहतर कार्य करें वैज्ञानिक

संजीव कौशल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक मिलेट्स एवं जैव अपघटन पर बेहतर कार्य करें। साथ ही, अर्बन फार्मिंग तथा इन्क्यूबेशन सेंटर पर भी अध्ययन करें ताकि किसानों को इनका अधिक लाभ मिल सके। मिलेट्स नागरिकों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें आयरन, प्रोटीन एवं फाइबर अधिक मात्रा में होता है। इसलिए मिलेट्स न्यूट्रीशन क्वालिटी डिलिसियस होनी चाहिए। नूंह जिले के गांव छपेड़ा गांव में कृषि विश्वविद्यालय का एक नया कृषि विज्ञान केंद्र खोला जाएगा। इस केन्द्र के खुलने से इस क्षेत्र के विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों से मार्गदर्शन मिल सकेगा।