कनीना/नारनौल: कनीना-दादरी सड़क मार्ग पर 11 अप्रैल को ईद के अवकाश के दिन उन्हाणी के समीप घटित स्कूल बस सड़क हादसे के बाद सरकार की ओर से बरती गई सख्ती से कनीना सब डिवीजन के विभिन्न गांवों व शहर में संचालित निजी स्कूल संचालकों ने अपनी कंडम बस कबाड़ी को दे दी हैं। इस हादसे में झाड़ली के चार व धनौंदा के दो छात्रों सहित कुल छह विद्यार्थियों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि करीब 25-30 विद्यार्थी घायल हो गए थे। हादसे के बाद पूरा प्रदेश स्तब्ध हो गया था।
निजी स्कूलों पर बरती सख्ती का दिखा असर
स्कूल बस हादसे के बाद सरकार की ओर से बरती गई सख्ती का असर दिखने लगा है। निजी स्कूलों की ओर से मजबूरन कंडम बसों को रोड से हटाने का फैसला लिया गया। माना जा रहा था कि ऐसी अनेक बसें स्कूल कैंपस में खड़ी स्कूल तथा संचालकों की शोभा बढ़ा रही थी। प्रशासन की ओर से इन बसों की फिटनेस एवं कागजात की जांच की तो वे जांच में खरी नहीं उतरी। अधिकारियों ने ऐसी बसों के खिलाफ इंपाउंड तथा चालान करने की कार्रवाई शुरू की तो कुछ स्कूल संचालकों ने बसों में छोटे बच्चों को बैठाकर खेल-खेल में कक्षा लेने की दलील दी। कुछ ने लोहे का रेट कम होने की वजह से कंड़म बसें नहीं बेचे जाने की बात कही।
कबाड़ के भाव बेची गई स्कूल बस
प्रशासनिक कार्रवाई से राहत मिलते ही कनीना के विभिन्न स्कूलों की दर्जनों बसें कबाड़ के भाव में जींद, दादरी व अन्य स्थानों से आए कबाड़ी व्यापारियों को बेच दी गई। इस बारे में बाकायदा तहसील कार्यालय से बस बेचने वाले स्कूल संचालक तथा खरीदने वाले कबाड़ी के शपथ पत्र भी भरे गए। पिछले 10 दिन के अंतराल में दर्जनभर से अधिक बसों को कबाड़ में बेचे जाने के शपथ पत्र तैयार किए गए। कनीना सिविल कोर्ट कैंपस में कार्यरत अधिवक्ता विक्रम सिंह यादव ने बताया कि निजी स्कूलों की कंडम बसें बेचे जाने को लेकर हाल ही में दर्जनभर शपथ पत्र तैयार करवाए गए थे। फिटनेस प्रमाण पत्र व कागजात से हट चुकी बसों को शपथ-पत्र के माध्यम से स्कूल संचालकों ने कबाड़ी को बेच दिया।