Shiva Temples of Haryana: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। जिसका इंतजार शिव भक्तों को काफी समय से रहता है और वह खास कर इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने जरूर जाते हैं। साथ ही सोमवार के दिन भारी संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिर में पहुंचते हैं। आप भी अगर शिव के भक्त हैं और हरियाणा में रहते हैं सावन में  यहां के शिव मंदिरों में जाने का प्लान बना रहें है तो आपको आज हम कुछ ऐसे ही फेमस शिव मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं, जो ऐतिहासिक रूप से काफी पुराना और श्रद्धालु  को आकर्षित करने वाला है।

पानीपत का शिव मंदिर

पानीपत का शिव मंदिर

पानीपत के कवि गांव में स्थित शिव मंदिर जिसे हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। यही नहीं यह मंदिर अपनी खास मान्यता के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 151 फीट है। माना जाता है इस मंदिर का निर्माण बाबा बालक नाथ ने करवाया था और  इसकी स्थापना 21 फरवरी 1997 की गई थी। बाबा बालकनाथ और गांव के लोगों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में भगवान शिव की विशाल शिवलिंग स्थापित है। यहां पर हर साल सावन के महीने में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। गांव वालों का मानना है कि बाबा बालक नाथ के चमत्कारी भभूत से निसंतान महिलाओं की गोद भर जाती थी।

कुरुक्षेत्र का कालेश्वर महादेव मंदिर

कुरुक्षेत्र का कालेश्वर महादेव मंदिर

कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर देश ही नहीं विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर शिवलिंग बिना नदी महाराज के विराजमान है। आज तक जहां भी भगवान शिव का मंदिर और शिवलिंग स्थापित की गई है वहां पर नंदी महाराज की प्रतिमा स्थापित की हुई है, लेकिन यहां पर नंदी की प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है। यहां के लोगों का मानना है कि  कुछ दशक पहले नदी स्थापित करने की सोची गई थी लेकिन उसी समय मंदिर पर विपदा पड़ गई थी जिसके चलते नंदी स्थापित नहीं की। इस  मंदिर की  अपनी कहानी और मान्यताएं काफी प्रसिद्ध है, जिसके चलते सावन के महीने में दूरदराज से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं।

संगमेश्वर महादेव मंदिर

संगमेश्वर महादेव मंदिर

संगमेश्वर महादेव मंदिर हरियाणा के पिहोवा शहर के अरुणाय गांव में स्थित है। इस मंदिर का कनेक्शन माता सरस्वती से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह जगह अरुणा और सरस्वती नदी के संगम का स्थल है। कहा जाता है कि माता सरस्वती को विश्वामित्र ऋषि ने खून से बहने का श्राप दिया था। वह इस श्राप से मुक्ति चाहती थी, इसलिए उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से मदद मांगी। जिसके बाद महर्षि ने उन्हें इसी जगह पर शिव की आराधना करने के लिए कहा था। जिसके बाद माता ने यहां पर माता ने शिव की आराधना की और महादेव ने उन्हें श्राप मुक्त कर दिया। जहां आज एक विशाल शिव मंदिर स्थापित है और सावन के महीने में शिव भक्त यहां पर शिव की आराधना के लिए आते है। माना जाता है यहां उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।

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श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर

श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर

श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर कैथल जिले में स्थित है, जिस वजह से कैथल जिले को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है।  ऐसा माना जा है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण ने उस समय की थी, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। महाभारत के युद्ध में कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध में मारे गए योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए इस 11 रुद्रों की स्थापना की गई थी। सावन के महीने में हरियाणा ही नहीं बल्कि देश और  विदेशों से भी शिव भक्त यहां पर जल चढ़ाने के लिए आते हैं। सावन ही नहीं बल्कि विशेष पर्वों और अवसरों पर भी भक्त यहां पर पूजा करने के लिए आते है।