Sonepat: चीनी मिल परिसर में बने गोदाम में बिना रिकार्ड के लाखों रुपए कीमत की चीनी के भंडारण के गड़बड़ झाले का खुलासा उजागर हुआ। जानकारी मिली कि उक्त चीनी के कट्टों का मिल प्रबंधन के पास तैयार होने व उसे स्टॉक में रखने का कोई रिकार्ड नहीं है। ऐसे में इस लाखों रुपए कीमत की चीनी को किस तरह से गोदाम में रखा गया, इसका खुलासा नहीं हो पाया है। गोदाम में मिले चीनी के बैग 2022-23 पेराई सत्र के दौरान करखाने में तैयार किए गए है। चीनी मिल के एमडी के नेतृत्व में टीम का गठन कर मामले की जांच में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। एमडी की तरफ से जिला उपायुक्त व उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है।

चीनी मिल में पहले भी होती रही गड़बड़ी

बता दें कि शहर के कामी सड़क मार्ग स्थित दी सहकारिता चीनी मिल में गड़बड़ी तो पहले भी होती रही है। लेकिन इस स्तर के मामले सामने नहीं आते थे। आपसी विवाद और मिल के पेराई सत्र को चलाने को लेकर अधिकारियों में तालमेल की कमी देखने को मिलती थी। गत पेराई सत्र व मौजूदा पेराई सत्र के दौरान कारखाने को चलाने के लिए टेंडर प्रक्रिया को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगे थे। जिला प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मामलों को किसी न किसी तरह से निपटा दिया गया था। हाल में चीनी मिल फिर से सुर्खियों में आ गया है। चीनी मिल परिसर के अंदर बने गोदाम में लाखों रुपए कीमत की चीनी का कोई वारिस रिकार्ड में नहीं होना बताया जा रहा है। उक्त चीनी को कारखाने में तैयार करके गोदाम तक जरूर पहुंचा दिया, लेकिन रिकार्ड में उक्त चीनी के 972 बैग नहीं मिले। जिसके बाद से चीनी मिल के अधिकारियों में खलबली मच गई है।

पहले भी चीनी का घोटाला आया था सामने, हो चुका है मुकदमा दर्ज

चीनी मिल में टेंडर, सामान खरीद सहित चीनी को लेकर मामले सामने आते रहते है। मौजूदा समय में 972 चीनी के बैग मिलने का खुलासा नया नहीं है। वर्ष 2013-14 के पेराई सत्र के दौरान गोदाम में 478 चीनी के बैग मिले है। इस घोटाले को विजलेंस जांच के बाद करीब 13 आरोपितों के खिलाफ 2020 में जाकर मामला दर्ज हुआ था। जानकारी मिली है कि उस दौरान भी जिला प्रशासनिक अधिकारियों व चीनी मिल के अधिकारियों ने मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन विजलेंस जांच के बाद घोटाले का खुलासा हो पाया था।

चीनी की कीमत लाखों रुपए, सेल्स डिपार्टमेंट संदेह के घेरे में आए

चीनी के बैगों को 2022-23 पेराई सत्र के दौरान चीनी तैयार की गई है। यानी यह पिछले साल से छुपाकर मिल के हिस्से में रखी गई है। जिसे ठिकाने लगाने की कोशिश जरूर की गई होगी, लेकिन शायद इसमें सफलता नहीं मिली। मिल प्रबंधन के मौजूदा अधिकारियों की नजर इस पर पड़ी तो मामले की जांच शुरू की गई है। मिल के एमडी स्वयं मामले की जांच में जुट गए है। सेल्स विभाग के कर्मचारियों को तलब कर सारा रिकॉर्ड मंगाया है। मिल में मौजूद चीनी का रिकॉर्ड दोबारा से जांच करने का आदेश दिया गया है। क्योंकि इन 972 बोरी चीनी की कीमत बाजार में 20 लाख रुपए से अधिक है। जिससे सेल्स डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारी भी संदेह के घेरे में आ गए हैं। मामले की जांच किसी एचसीएस स्तर के अधिकारी से कराई जा सकती है।

एमडी ने सीटों के चार्ज बदले तो हुआ घोटाले का खुलासा

एमडी ने हाल ही में कर्मचारियों की सीट बदल दी। नए कर्मचारी ने चार्ज लिया और स्टॉक का मिलान किया तो स्टॉक में 972 बोरी चीनी अधिक मिली। जिसके बाद मिल में हड़कंप मच गया। चीनी मिल का परिसर बहुत बड़ा है। ऐसे में मिल में कहां पर क्या हो रहा है, संबंधित विभाग के कर्मचारी और अधिकारी ही इसके बारे में जानकारी रखते है। अन्यथा पिछले साल की चीनी का भंडारण इस साल दो महीने पेराई सत्र बीतने के बाद सामने आ रहा है। जिससे यह प्रतीत होता है कि यह सब कुछ एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा था। इस चीनी का बाजार भाव 20 लाख रुपए से अधिक है।

सेल्स विभाग के कर्मचारियों से की जा रही पूछताछ 

चीनी मिल के एमडी डॉ. संजय सिंह ने बताया कि चीनी से संबंधित कार्य सेल्स डिपार्टमेंट द्वारा किया जाता है। चीनी उत्पादन के बाद गोदाम के रजिस्टर से सेल्स डिपार्टमेंट को बेचने के लिए ट्रांसफर कर दी जाती है। इसके बाद उसका लेजर तैयार करना और रिकॉर्ड मेंटेन करने सहित तमाम जिम्मेदारी विभाग की होती है। बेची गई चीनी का पैसा मिल के खाते में ट्रांसफर करना और ऑनलाइन बोली से मिलने वाला पैसा डायरेक्ट खाता में ट्रांसफर कर दिया जाता है। लेकिन इस चीनी का कोई रिकॉर्ड मिल में नहीं पाया। मामले की जांच की जा रही है। उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया है। सेल्स विभाग के कर्मचारियों से पूछताछ चल रही है।