Supreme Court। शिवानी तुषीर ने सुप्रीम कोर्ट में सोनीपत की एक महिला वकील ने पहली बार एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की श्रेणी में स्थान बनाकर इतिहास रचा है। सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की श्रेणी में आने के लिये महिला वकील शिवानी तुषीर को एक टेस्ट देना पड़ा था। जिसका परिणाम कुछ समय पहले ही घोषित किया था। जिसके बाद देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को ही शिवानी समेत कुल 170 वकीलों को अप्वाइंट किया है। अध्योध्या में राम मंदिर केस में शामिल रह चुकी शिवानी तुषीर के यह उपलब्धि खास मानी जा रही है।
उपलब्धी से परिवार खुश
लक्ष्मी नगर की रहने वाली शिवानी तुषीर की इस उपलब्धि पर परिजन काफी खुश हैं। वहीं जब इस बारे में शिवानी तुषीर से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि वे अयोध्या में श्रीराम मंदिर के केस में भी अदालत में पेश हो चुकी हैं। शिवानी ने कहा कि परिवार वालों की मदद से ही यह संभव हो पाया है।
केस फाइल करने का अधिकार और जवाबदेही
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वो वकील होते हैं, जिनके बिना सुप्रीम कोर्ट में कोई केस फाइल नहीं किया जा सकता। इनका काम कोर्ट के सामने केस पेश करना होता है। एडवोकेट ऑन रिकार्ड की हर केस के लिए जिम्मेदार होते हैं। संबंधित केस में गलती के लिए भी इन्हें ही जिम्मेदार माना जाता है।
कैसे बनते हैं एडवोकेट ऑन रिकार्ड
भारत के सर्वाच्च न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकार्ड (एओआर) बनने के लिए भारत के सवोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित परीक्षा पास करनी होती है। परीक्षा पास करने वाले वकील को सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के रूप में पंजीकृत कर दिया जाता है।
ऐसे समझें एडवोकेट व एडवोकेट ऑन रिकार्ड का अंतर
कानूनी की पढ़ाई पूरी करने की बाद बार की परीक्षा पास कर कोर्ट में प्रैक्टिस करने का अधिकार मिल जाता है। जबकि एडवोकेट ऑन रिकार्ड बनने के लिए इसके साथ साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा भी पास करनी पड़ती है।
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