Farmers Protest: किसान नेता जगजीत डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर 33 दिनों से आमरण अनशन कर रहे हैं। उन्होंने अन्न त्याग रखा था लेकिन कुछ दिनों से उन्हें पानी पीने से उल्टियां हो रही हैं, जिसके कारण वो पानी भी नहीं पी रहे हैं। उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है लेकिन वो डॉक्टरी इलाज लेने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें डॉक्टरी इलाज दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार को आदेश दे चुकी है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर पंजाब सरकार को फटकार लगाई है।

'अस्पताल ले जाने से रोकना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान'

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बैंच ने सुनवाई के दौरान डल्लेवाल को अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए कहा। इस पर पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया कि किसान इसका विरोध कर सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपनी मांगों के लिए आंदोलन करना लोकतांत्रिक तरीका है लेकिन किसी को अस्पताल ले जाने से नहीं रोका जा सकता। ऐसा करना आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले आप समस्या पैदा करते हैं और बाद में कहते हैं कि हम कुछ नहीं कर सकते?

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केंद्र सरकार को दिया आदेश 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किस तरह के किसान नेता हैं, जो चाहते हैं कि जगजीत डल्लेवाल को अस्पताल ने ले जाया जाए और वो मर जाएं। डल्लेवाल को अस्पताल में शिफ्ट कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार असंतुष्ट है। कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को आदेश दिया गया है कि डल्लेवाल को अस्पताल में शिफ्ट कराने के लिए केंद्र सरकार मदद मुहैया कराए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के खिलाफ अवमानना के मामले को लेकर 31 दिसंबर को सुनवाई की जाएगी। बता दें कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल फसलों के न्यूनतम मूल्य की गारंटी के कानून की मांग कर रहे हैं। इसके लिए वे पिछले 33 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं। 

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