Haryana Govt School: हरियाणा सरकार द्वारा शुरू किए गए राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों को लेकर विद्यार्थियों की दिलचस्पी बढ़ रही है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (CBSE) से संबद्धित इन स्कूलों में एडमिशन के लिए विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अब इन स्कूलों में डबल शिफ्ट में पढ़ाई करवाने का निर्णय लिया है। पहले चरण में लगभग 123 स्कूलों में सुबह और शाम की शिफ्ट शुरू की गई थी। यह प्रयोग कामयाब होने के बाद नए शैक्षणिक सत्र यानी अप्रैल से बाकी स्कूलों में भी दोनों शिफ्टों में पढ़ाई का निर्णय लिया गया है। वहीं, इस संदर्भ में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है।

साथ ही उन्हें नए शैक्षणिक सत्र से डबल शिफ्ट में पढ़ाई करवाने का प्रबंध करने को कहा गया है। सरकार ने इन स्कूलों की संख्या बढ़ाकर 500 से भी ज्यादा कर चुकी है। ये भी कहा गया है कि आने वाले सत्र में और भी स्कूलों को सीबीएसई से कनेक्ट किया जाएगा, ताकि शुरू से ही को विद्यार्थियों की पढ़ाई अंग्रेजी मीडियम से करवाई जा सके।

कंवरपाल गुर्जर ने की थी अधिकारियों के साथ मीटिंग  

बताया जा रहा है की स्कूल शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने डबल शिफ्ट में पढ़ाई को लेकर विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग भी कर चुके हैं। शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों की तर्ज पर जरूरत पड़ने पर आरोही मॉडल स्कूलों और राजकीय प्राथमिक मॉडल संस्कृति स्कूलों में भी इसी तरह की व्यवस्था करने को कहा है। इससे पहले विभाग की ओर से स्कूलों के स्टाफ को ड्राप-आउट रेट जीरो करने के लिए भी कदम उठाने को कहा गया था। इसके तहत स्कूलों का स्टाफ डोर-टू-डोर जाकर विद्यार्थियों का स्कूलों में एडमिशन सुनिश्चित करेगा।

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मदरसों और गुरूकुलों को लेकर बड़ी घोषणा

मेवात के नगीना में सीएम मनोहर लाल ने लोकसभा चुनावों से पहले मदरसों और गुरूकुलों को लेकर बड़ी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी मदरसों और गुरूकुलों को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के साथ जोड़ा जाएगा। इसके लिए मदरसों व स्कूलों को छात्र संख्या के हिसार से सालाना सात लाख रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मदरसों व गुरूकुलों में पढ़ने वाले बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना है, ताकि उन्हें भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तरफ प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेने का मौका मिल सके।