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महेंद्रगढ़ के मोहित सुसाइड केस में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया। जांच दूसरे जिले के एसपी से करवाने और जल्द अंतिम संस्कार के आदेश दिए। 55 दिन से परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार नहीं किया था। परिजन पूर्व मंत्री समेत 8 पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।

नारनौल। कनीना के गांव बागोत निवासी 26 वर्षीय युवक मोहित के सुसाइड केस में बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें हरियाणा सरकार की ओर से डीएजी सहित पुलिस इंस्पेक्टर व तहसीलदार पेश हुए। वहीं दूसरी ओर वादी कैलाशचंद व अधिवक्ता पेश हुए। न्यायाधीश हरप्रीत सिह बरार ने वादी कैलाशचंद को मृतक युवक का दाह संस्कार करने के आदेश दिए और परिजनों की ओर से ऐसा न करने पर पुलिस प्रशासन को दाह संस्कार करने को कहा। वादी कैलाशचंद की ओर से एसआईटी को लेकर उठाए गए सवाल पर दूसरी एसआईटी गठित करने तथा अन्य जिले के एसपी से उनके आरोपों की जांच करवाने के भी आदेश दिए। ये एसआईटी कैलाशचंद की ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में लगाए गए आरोपों की जांच करेगी। बता दें कि 55 दिन से मोहित के शव का संस्कार परिजनों ने नहीं किया है। परिजन एक पूर्व मंत्री पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।

पूर्व मंत्री समेत आठ पर हैं आरोप

बता दें कि युवक मोहित ने 13 दिसबर की रात्रि फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसकी सुचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर उसे उप नागरिक अस्पताल कनीना भिजवाया। जहां 14 दिसंबर को उसका पोस्टमार्टम करवा दिया गया। मृतक का पिता कैलाशचंद पूर्व मंत्री सहित आठ व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग करते हुए युवक का अंतिम सस्कार न करने पर अड़ गया। पिछले 55 दिन से मोहित का शव उप नागरिक अस्पताल कनीना के फ्रीजर में रखा हुआ है। वादी व प्रतिवादी पक्ष हाईकोर्ट के आदेश जारी होने की ओर टकटकी लगाए बैठे थे। कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगली कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने 16 जनवरी को सुनवाई करते हुए कैलाशचंद को युवक मोहित का तीन दिन में अंतिम संस्कार करने, अर्जी में लगाए गए आरोपों की जांच आईपीएस अधिकारी से करवाने तथा मृतक के पिता को भी शामिल तफ्तीश होने के भी आदेश दिए थे। जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया था।

ह्यूमन राइट कमीशन ने खारिज की अर्जी

पड़तल गांव के सरपंच रोशनलाल इंदोरा ने वकील पदमकांत के माध्यम से जनहित को देखते हुए एक दरखास्त हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन चंडीगढ़ में दाखिल की थी। जिसे आयोग ने मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के दृष्टिगत तीन फरवरी को हुई सुनवाई में खारिज कर दिया। सुनवाई में प्रशासन की ओर से निरीक्षक मुकेश कुमार व तहसीलदार उपस्थित हुए।

क्या कहते हैं अधिवक्ता

पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट के एडवाकेट सत्यारायण यादव ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से एसपी की जांच व एसआईटी के गठन पर सवाल उठाए गए। इस पर न्यायाधीश ने इसकी जांच दूसरे जिले के एसपी से करवाने तथा दूसरी एसआईटी का गठन करने के आदेश दिए। इसके अलावा मृतक का दाह संस्कार करने का भी आदेश देते हुए कहा कि मृतक के वारिस संस्कार नहीं करते हैं तो पुलिस प्रशासन इसका दाह संस्कार करवाए।
 

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