योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह व गुटबाजी के कारण लगभग दो माह का वक्त बीतने के बाद भी नेता विपक्ष तय नहीं हो सका है। अभी इसमें और भी वक्त लग सकता है। दूसरी तरफ एक वक्त में पावर सेंटर रही व नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) को सेक्टर सात चंडीगढ़ में मिला सरकारी आवास भी आने वाले दो सप्ताह के अंदर खाली कर दिए जाने के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसे विभाग की सामन्य प्रक्रिया मानते हैं।
नेता विपक्ष को मिलता है केबिनेट मंत्री का दर्जा
नेता विपक्ष को केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला होता है। बतौर नेता विपक्ष सेक्टर 7 में 70 नंबर कोठी मिली हुई है। यह कोठी एक वक्त में पावर सेंटर हुआ करती थी। अब इसके खाली होने का इंतजार कर रहे नायब सैनी (Nayab Saini) सरकार के मंत्री विपुल गोयल की नजरें हैं। वे मनोहर सरकार पार्ट वन में इस कोठी में रह चुके हैं, इसलिए भी उनकी इच्छा है कि यह कोठी खाली होने की सूरत में उन्हें अलाट की जाए।
भाजपा की निगम चुनावों पर नजरें
विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगा चुकी भारतीय जनता पार्टी के नेताओ की नजरें नगर निगम चुनावों पर लगी है। जिसके लिए वे तैयारी में जुट गए है। इसके अलावा राज्यसभा की एक सीट कृष्ण पंवार के इस्तीफे से खाली हुई है, भाजपा संख्याबल में अधिक होने के कारण अपना सांसद बनाने में कामयाब होती दिख रही है। पूर्व सीएम भी साफ कर चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी, क्योंकि यह नंबर गेम है।
गुटबाजी के कारण विपक्ष नेता तय नहीं
खींचतान और गुटबाजी के कारण कांग्रेस नेता विपक्ष का नाम तय नहीं कर पा रही है। माना जा रहा है कि हुड्डा नेता विपक्ष नहीं बने, तो अपने किसी करीबी विधायक को यह पद दिलाने में कामयाब रहेंगे, क्योंकि अधिकांश विधायक उनके समर्थक में हैं। हाईकमान से आए प्रतिनिधियों को विधायकों ने फीडबैक दे दिया था। महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव आने के कारण नेता विपक्ष का नाम तय नहीं होने की बात कही जा रही है। यह पहली बार हुआ है कि विधानसभा का एक सत्र बिना नेता विपक्ष के गुजर गया।
गुटबाजी के कारण पार्टी को हुआ नुकसान
कांग्रेस पार्टी की दिल्ली में हुई बैठक के दौरान पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हार पर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही स्वीकार किया कि गुटबाजी के कारण भी पार्टी को नुकसान हुआ है। एक तरफ जहां नेता विपक्ष पद पर संकट है, वहीं अब कोठी खाली करने संबंधी मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे, यह कोठी कांग्रेस के वक्त में पावर सेंटर बनी थी। यहां पर हुड्डा के प्रमुख ओएसडी एमएस चौपड़ा सत्ता चलाया करते थे।
जीती हुई बाजी हाथ से निकली, कांग्रेस हाईकमान चिंतित
इस बार कांग्रेस को जीत जाने और सरकार बनाए जाने की पूरी पूरी उम्मीद थी। लेकिन एन वक्त पर बाजी हाथ से निकल गई। भाजपा ने हरियाणा में नया इतिहास रचा और हैट्रिक मार दी। उसके बाद से कांग्रेस में हार का ठीकरा पूर्व सीएम का विरोधी गुट भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा पर फोड़ रहा है। इतना ही नहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान भी हुड्डा के करीबियों में हैं। इस कारण से उन पर भी पार्टी संगठन खड़ा न करने और पार्टी की हार का ठीकरा दूसरे गुट द्वारा फोड़ा जा रहा है।
महाराष्ट्र के अभियान में स्टार प्रचारकों से गायब था नाम
पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं था। हालांकि उनके विरोधी खेमे को इस सूची में तरजीह दी गई थी। सांसद व वरिष्ठ नेत्री सैलजा और सुरेजवाला के नाम स्टार प्रचारकों में शामिल थे। कुल मिलाकर नेता विपक्ष की दौड़ से पूर्व सीएम हुड्डा बाहर नजर आ रहे है। भले ही वे अपने किसी खास को नेता विपक्ष बनवाने में कामयाब हो जाएं।