Hisar : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में, देश के विकास और स्थायित्व में किसान का बहुत बड़ा योगदान है। किसान चुनौतीपूर्ण वातावरण में कड़ी मेहनत से काम करता है। एक जमाना था जब अन्न की कमी इतनी ज्यादा थी कि अन्न बाहर से आता था। लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया। देश की खाद्य समस्या की पूर्ति करने के लिए यह भी कहा गया कि सप्ताह में एक दिन शाम का उपवास रखो। पूर्व में हम कहां थे और आज हम कहां आ गए हैं। यह सब हमारे किसानों की मेहनत का ही परिणाम है। किसान को एक अच्छा मार्केटिंग मैकेनिज्म अपनाना पड़ेगा। वे मंगलवार को सिरसा रोड स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में किसानों तथा वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे।
 
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान व जय अनुसंधान का नारा हो रहा फलीभूत 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान की ओर विशेष ध्यान देते हुए जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया, वह फलीभूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च, किसानी से जुड़े हुए प्रतिनिधि, उद्योग, आपस में तालमेल बैठाएं तो किसानों और  पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में एक बहुत बड़ा बदलाव हो सकता है। किसान विशेषकर युवा किसानों को सोचना पड़ेगा कि दुनिया में सबसे बड़ा व्यापार यदि अगर आज के दिन में कोई है, तो वह कृषि उत्पादन से जुड़ा हुआ है। गेहूं, चावल, बाजरे, मिलेट, सब्जी, फल, पशुधन, दूध आदि का एक बड़ा बाजार है। किसान को समझना होगी कि यदि वह बाजार की मांग को समझकर कार्य 
करे तो उसे बड़ा मुनाफा हो सकता है। 

किसानों को उत्पादन में वैल्यू ऐड के लिए प्रेरित करना चाहिए

उन्होंने कहा कि किसान जो पैदा करता है, उसमें वैल्यू ऐड नहीं करता। उसमें वैल्यू ऐड कोई और करता है। किसान को इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। किसान के यहां सरसों होती है, वह तेल नहीं बनाता। किसान के यहां आलू होता है, वह चिप्स नहीं बनाता। किसान के यहां सब्जियां होती हैं, मार्केटिंग नहीं कर पाता। किसान का बेस्ट प्रोड्यूस ऑर्गेनिक होता है, वह बड़ी मेहनत से करता है, लेकिन उसे वास्तविक मूल्य नहीं मिल पाता। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के लिए सुझाव देते हुए कहा कि परिषद द्वारा युवा किसानों के लिए ऐसा पाठ्यक्रम आरंभ किया जाना चाहिए, जिसमें वे कृषि उत्पादों की मार्केटिंग को भली-भांति समझ सकें।

करोड़ों का पैकेज छोड़ दूध का व्यापार करने में लगे युवा

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब परिवेश बदलने भी लगा है। आईआईटी तथा आईआईएम से उत्तीर्ण युवा उद्यमी आज बड़े-बड़े संस्थानों में करोड़ों रुपए के पैकेज छोड़कर दूध का व्यापार कर रहे हैं।  हमारे सामने अमूल का एक बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत दूर की सोचकर किसानों के लिए कॉपरेटिव मूवमेंट को आगे बढ़ाया है। किसान अपने समूह बनाकर कॉपरेटिव मूवमेंट से जुड़ी अनेक योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री ने ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देते के लिए व्यापक अभियान चलाया है। इसके तहत गांव-गांव में महिला समूह को ड्रोन दिया जाएगा, और उस ड्रोन का वह उपयोग करेंगे ताकि फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड का छिड़काव ठीक हो जाए, जानकारी सही समय पर मिल जाए। 

गांव कम से कम कृषि उत्पादन की दृष्टि से आत्मनिर्भर रहें

उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आज गांव में सब्जी बाहर से आती है, सब्जी शहर से आती है। हमें एक संस्कृति का विकास करना चाहिए कि गांव कम से कम कृषि उत्पादन की दृष्टि से आत्मनिर्भर रहें। सरकार की बहुत बड़ी नीति है वेयरहाउसिंग की, गोदाम बनाने की, ताकि हम कृषि उत्पादन का ध्यान रख सकें, ख्याल रख सकें। इस व्यवस्था में भी मुझे किसान कहीं नजर नहीं आता। उन्होंने अन्नदाताओं व किसानों से आग्रह किया कि वह यह नहीं सोचे कि हमारा बच्चा खेती में क्यों पड़े।

उपराष्ट्रपति ने किसानों को दिया न्योता

उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के अधिकारियों से कहा कि जो किसान यहां पर आए हैं, उनकी एक लिस्ट बनाएं, उनको वह भारत की संसद में आमंत्रित करते हैं। मेरे अधिकारी इसकी व्यवस्था करेंगे और वहां मैं आपसे खुलकर चर्चा करूंगा। मेरे मन की बात कहूंगा और आपको कहूंगा जो यहां उपस्थित हैं, तो यह बात एक तरीके से फैलेगी कि हम कितना मौका चूक रहे हैं । उसमें यदि आगे और चूका तो ग्रामीण विकास में वह बढ़ोतरी नहीं हो पाएगी, जिसकी कल्पना प्रधानमंत्री कर रहे हैं।