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Haryana Election 2024 : कुश्ती पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले इंडियन रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। दोनों खिलाड़ियों ने किस नियम के तहत इस्तीफा दिया इसके बारे में बता रहे हैं।

Haryana Election 2024: देश के चर्चित पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। पार्टी दोनों को विधानसभा चुनाव लड़वा सकती है। आज 6 सितंबर को कांग्रेस की सदस्यता लेने से पहले विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि देश में एक कानून है जो किसी सरकारी नौकरी पर रहते हुए नागरिक को चुनाव लड़ने से रोकता है। आखिर राजनीति में जाने से पहले दोनों खिलाड़ियों को किस नियम-कानून के तहत इस्तीफा देना पड़ा। इसके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।

सियासी सफर शुरू करने से पहले विनेश फोगाट ने रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। विनेश रेलवे में ओएसडी के पद पर कार्यरत थीं। विनेश ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए  X पर लिखा, 'रेलवे की सेवा जीवन में यादगार और गौरवपूर्ण समय रही है। मैं रेलवे परिवार की हमेशा आभारी रहूंगी।'

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...तो क्या कहना है नियम

देश के कानून के हिसाब से सरकारी अफसर या कर्मचारियों के चुनाव लड़ने और किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने पर रोक है। केंद्र सरकार के अफसरों और कर्मचारियों पर सेंट्रल सिविल सर्विसेस (कंडक्ट) एक्ट, 1964 के तहत चुनाव लड़ने पर रोक लगी है। इसमें नियम 5 में ये प्रावधान किए गए हैं। (1). कोई भी सिविल सर्वेंट किसी भी राजनीतिक पार्टी या संगठन का न तो हिस्सा बन सकता है और न ही राजनीति से जुड़ेगा और न ही किसी तरह से किसी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि से जुड़ेगा।

(2). हर सरकारी कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वो अपने परिवार के सदस्य या सदस्यों को किसी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में शामिल नहीं होने देगा। (3). अगर फिर भी ऐसा होता है तो सरकारी कर्मचारी को इस बात की जानकारी सरकार को देनी होगी। कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के लिए न तो प्रचार करेगा और न ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा।

राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए क्या नियम हैं? 
जैसे केंद्र सरकार के अफसरों और कर्मचारियों के चुनाव लड़ने या राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने की मनाही है, ठीक वैसे ही राज्य सरकार के कर्मचारियों और अफसरों के लिए भी ये नियम लागू है। मतलब कि राज्य सरकार के अफसर और कर्मचारी भी न तो चुनाव लड़ सकते हैं और न ही किसी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए हर राज्य के अलग-अलग सिविल रूल्स हैं।

अगर किसी राजनीतिक रैली में उसकी ड्यूटी लगती है तो वो वहां न तो भाषण दे सकता है, न ही नारे लगा सकता है और न ही पार्टी का झंडा उठा सकता है। 


हरियाणा सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स 2016
हरियाणा का सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स 2016 राज्य सरकार के कर्मचारियों के किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने और चुनाव लड़ने पर रोक लगाता है। ऐसे में अगर कोई सरकारी कर्मचारी चुनाव लड़ना चाहता है तो उसको, पहला वह पद से रिटायरमेंट के बाद ऐसा कर सकता है। यदि वह बीच मे चुनाव लड़ना चाहता है तो उसको सरकारी नौकरी से इस्तीफा देना होगा। इसके बाद ही वह चुनाव लड़ सकता है। हालांकि, कभी-कभार कोर्ट पद पर रहते हुए लोगों को चुनाव लड़ने की इजाजत देता है।  

पिछले साल राजस्थान हाईकोर्ट ने दीपक घोघरा नाम के सरकारी डॉक्टर को विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत दी थी.। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर दीपक चुनाव हार जाते हैं तो दोबारा ड्यूटी ज्वॉइन कर सकते हैं। दीपक ने भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के टिकट पर डुंगरपुर सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें वो हार गए थे। अगर दोनों खिलाड़ी पार्टी ज्वाीइन करने से पहले कोर्ट जाते तो हो सकता है कि कोर्ट उनको भी ऐसी इजाजत दे सकता था, लेकिन यह कोर्ट के विवेक पर निर्भर है। 

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