देश की राजनीति में तेजी से कदम बढ़ाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की हरियाणा में हालत ठीक नहीं है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी प्रदेश की कुल 10 लोकसभा सीटों में से महज कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाली है, बाकी नौ सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। अब सवाल उठता है कि केजरीवाल के गढ़ यानी हरियाणा में आप की हालत इतनी बुरी क्यों हो गई, जिसके चलते 'आप' सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस से सवाल जवाब करने की स्थिति में भी नहीं आ पाई। आइये जानने का प्रयास करते हैं...

पिछले लोकसभा चुनाव में 'आप' के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त

आम आदमी पार्टी ने पिछला लोकसभा चुनाव जजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था। आप ने हरियाणा की तीन लोकसभा सीटों यानी फरीदाबाद, अंबाला और करनाल सीट से अपने प्रत्याशी उतारे। उम्मीद थी कि तीनों सीटों पर उनके प्रत्याशी जीत जाएंगे। जब नतीजे सामने आए तो पता चला कि तीनों सीट पर उनके उम्मीदवार हार गए। हालत यह थी कि जमानत भी जब्त होने से नहीं बचाया जा सका। यह स्थिति उस समय थी, जब आम आदमी पार्टी का जलवा चरम पर था। वहीं, हरियाणा कांग्रेस की बात करें तो पिछले लोकसभा सीट में भी एक सीट नहीं मिली। भाजपा को जहां 58.21 फीसद वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 28.21 फीसद वोट मिल पाए थे। बावजूद इसके 'आप' एक से ज्यादा सीट कांग्रेस से हासिल नहीं कर सकी।   

आप के बड़े नेताओं का पार्टी से इस्तीफा देना

हरियाणा में आम आदमी पार्टी के कमजोर होने का दूसरा बड़ा कारण संगठन का मजबूत न होना बताया जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक कई बड़े दिग्गज नेता आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं। हाल में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा था, जब  आप के प्रदेश प्रभारी अशोक तंवर ने इस्तीफा देकर 20 जनवरी को बीजेपी का दामन थाम लिया था। इससे पूर्व चार बार विधायक और दो बार मंत्री रह चुके निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा ने 28 दिसंबर 2023 में आप का साथ छोड़ दिया था और कांग्रेस जॉइन कर ली। वहीं, फरीदाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके नवीन जयहिंद ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा भी कई ऐसे चेहरे हैं, जो संगठन को मजबूत करने में जुटे थे, लेकिन अलग-अलग कारणों से पार्टी छोड़ दी।

लोकसभा से ज्यादा विधानसभा चुनावों पर नजर

राजनीति के जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में लोकसभा से ज्यादा विधानसभा चुनावों पर नजर रख रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया जा रहा है कि हरियाणा में आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भी आप ने एजेंडा तैयार कर लिया है। इसके तहत शिक्षा और स्वास्थ्य से भी ज्यादा किसानों के मुद्दों पर फोकस किया जाएगा। इस रणनीति पर काम भी शुरू हो चुका है। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी लगातार किसानों की मांगों को उठा रहे हैं। साथ ही, आप ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से इसलिए संतुष्टि पा ली है क्योंकि अगर यहां जीत मिल गई तो आने वाले विधानसभा चुनाव में इस जीत को भुनाया जा सकता है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी 'आप' 

आम आदमी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। यह बात कई बार आम आदमी पार्टी के नेता कह चुके हैं। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से आप प्रत्याशी सुशील गुप्ता ने भी जनवरी में मीडिया से बातचीत में ऐलान किया था कि हम हरियाणा में मजबूत स्थिति में हैं और अकेले चुनाव लड़ेंगे। जब पूछा गया था कि आप क्या लोकसभा चुनाव भी अकेले लड़ेगी, इस पर जवाब दिया था कि हाईकमान को पार्टी की स्थिति से अवगत करा दिया है, बाकी फैसला उनका होगा।

अब प्रत्याशी चुने जाने पर क्या बोले सुशील गुप्ता

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने पर सुशील गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र लोकसभा की ईश्वर तुल्य जनता को भरोसा दिलाता हूं कि क्षेत्र के विकास और भलाई में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ुंगा और जनता की सेवा में हमेशा तत्पर रहूंगा। जब विधानसभा चुनाव से जुड़ा सवाल पूछा गया तो जवाब दिया कि अभी विपक्ष यही चाहता है कि किसी तरह बीजेपी को हराया जाए ताकि लोकतंत्र को सुरक्षित रखा जा सके। इसके बाद जो भी रणनीति होगी, सब सामने आ ही जाएगी।