Panipat Health News: पानीपत की स्वास्थ्य विभाग ने जिले के करीब 50 हजार से अधिक बच्चों की स्वास्थ्य की जांच कराई थी। अब इसकी रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कई चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं। दरअसल रिपोर्ट में पता लगा है कि पानीपत जिले के 25 फीसदी से अधिक बच्चे रोगों से ग्रसित हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रो में करीब 50 हजार बच्चों की जांच कराई गई। जांच के बाद जो आंकड़े सामने आए हैं, उसे देखकर स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है।

13,000 से ज्यादा बच्चे रोगों से मिले ग्रसित

जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग ने 1 जनवरी से 30 जुलाई तक राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रो में पढ़ने वाले करीब 50 हजार से अधिक बच्चों की जांच कराई थी। इन बच्चों में से करीब 13,000 से ज्यादा बच्चे किसी न किसी बीमारी से ग्रसित मिले हैं। बच्चों में सांस लेने की दिक्कत, टीबी, एलर्जी जैसी गंभीर बीमारियां पाई गई हैं। लगभग तीन बच्चों में विटामिन A,B,D और खून की कमी भी मिली है। करीब 1200 बच्चों में कम सुनने और कम दिखाई देने जैसी बीमारियां पाई गई हैं।

मिड-डे मील में शामिल होगी मौसमी सब्जियां

बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने फैसला लिया है कि राजकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की खाली पड़ी जमीन का उपयोग स्वास्थ्य के लिए किया जाएगा। खाली पड़ी जमीन में न्यूट्रीशियन गार्डन बनाया जाएगा। शिक्षकों का समूह इन न्यूट्रीशियन गार्डन को तैयार करेगा। इन न्यूट्रिशियन गार्डन में मौसमी सब्जियां उगाई जाएंगी। इन सब्जियों को बच्चों के मिड-डे मील में शामिल किया जाएगा। न्यूट्रीशियन गार्डन में टमाटर, मूली, गाजर, साग, तोरई सहित फुलवारी भी तैयार की जाएगी। बच्चों को पर्यावरण सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए राजकीय स्कूलों में न्यूट्रीशियन गार्डन तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

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3 करोड़ रुपये खर्च किए गए

स्वास्थ्य विभाग स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की स्क्रीनिंग कर उनकी बीमारियों का पता लगाता है। इसके बाद जिला नागरिक अस्पताल में बच्चों का इलाज करवाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की 7 महीने की इस स्क्रीनिंग में 50 हजार से अधिक बच्चों की जांच की गई है। पिछले 6 सालों में 112 बच्चों की दिल की सर्जरी कराई जा चुकी है। इस पर लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस कार्यक्रम में शिक्षा विभाग भी स्वास्थ्य विभाग की मदद कर रहा है।