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हरियाणा के रेवाड़ी में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की रैली करवाने के लिए प्रत्याशी ने तैयारी शुरू कर दी है। अगर रैली होती है तो आप के निशाने पर भाजपा रहेगी। कांग्रेस के उम्मीदवार को आप की रैली से कोई खतरा नहीं है।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद रेवाड़ी हलके से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी यादव ने उनकी शहर में रैली कराने के प्रयास तेज कर दिए हैं। अगर केजरीवाल का रेवाड़ी दौरा फाइनल होता है, तो भाजपा प्रत्याशी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं होगा। केजरीवाल के निशाने पर कांग्रेस की बजाय भाजपा का रहना तय है। इससे भाजपा का वैश्य वोट बैंक भी खिसकने की पूरी आशंका रहेगी। सतीश यादव भाजपा को मात देकर तीसरी बार कैप्टन परिवार को कड़ी चुनौती पेश करने की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।

इन दिग्गजों को दे चुके चुनौती

आप उम्मीदवार सतीश यादव एक बार कैप्टन अजय सिंह यादव व एक बार रणधीर सिंह कापड़ीवास को सीधी चुनौती पेश कर चुके हैं। 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हुए कैप्टन को टक्कर देते हुए 35 हजार से ज्यादा मत हासिल किए थे। सतीश यादव ने 2014 में इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा प्रत्याशी रणधीर सिंह कापड़ीवास को टक्कर दी। 1989 के उपचुनाव से जीत की शुरूआत करने वाले कैप्टन अजय सिंह यादव को कापड़ीवास और सोमाणी से भी टक्कर मिली, लेकिन उन्हें 2014 तक कोई भी प्रत्याशी हराने में सफल नहीं रहा।

मोदी लहर में हारे थे कैप्टन अजय

कैप्टन अजय सिंह यादव देश भर में चली मोदी लहर की चपेट में आकर मात खा गए थे। परंपरागत सीट को हासिल करने के लिए उन्होंने गत विधानसभा चुनावों में बेटे चिरंजीव राव को मैदान में उतारकर विधानसभा भेजने का सफल प्रयोग किया। चिरंजीव की जीत के साथ ही कैप्टन ने रेवाड़ी की सियासत पूरी तरह से बेटे के नाम कर दी। चिरंजीव ने विधायक बनने के बाद विधानसभा में जिस तरह से हलके की समस्याओं को लेकर खुलकर बैटिंग की, उससे वह एक परिपक्व नेता के रूप में स्थापित हो गए। चिरंजीव इस बार पिता कैप्टन अजय सिंह यादव के साथ जीत दोहराने के लिए मैदान में पसीना बहा रहे हैं।

लक्ष्मण को संजीवनी की जरूरत

भाजपा ने लक्ष्मण सिंह यादव को कोसली हलके से रेवाड़ी शिफ्ट करते हुए उनकी चुनौती कड़ी करने का काम कर दिया। कोसली हलके में मजबूत पैठ बना चुके लक्ष्मण को इस नए हलके में एक तरह से जीरो से शुरूआत करनी पड़ रही है। टिकट कटने के बाद सतीश यादव और प्रशांत भाजपा से बागी होकर चुनाव मैदान में कूद चुके हैं। राव के सभी समर्थक भी खुलकर लक्ष्मण के साथ मैदान में नहीं आए हैं, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लक्ष्मण को इस समय संजीवनी की खास जरूरत महसूस हो रही है।

कापड़ीवास पर टिकी सभी निगाहें

हलके के महारथी रणधीर सिंह कापड़ीवास ने लगातार दूसरी बार टिकट नहीं मिलने के बाद पूरी तरह चुप्पी साधी हुई है। मजबूत जनाधार होने के कारण कापड़ीवास और उनके भतीजे मुकेश का कोई भी फैसला चुनाव परिणाम पर बड़ा असर डाल सकता है। दोनों ने अभी तक किसी भी प्रत्याशी का साथ देने के संदर्भ में अंतिम निर्णय नहीं लिया है। प्रमुख प्रत्याशी लगातार समर्थन हासिल करने के लिए उनके गेट की बेल बजा रहे हैं, परंतु अभी तक दोनों ने खुद को तटस्थ बनाया हुआ है।

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